गिरिडीहः हुनरमंद संतोष बांस से ही किसी की प्रतिमा को जीवंत कर देता है. पढ़ाई के साथ-साथ वह पार्ट टाइम में बांस की प्रतिमा और सजावट का सामान बनाता है. इस दीपावली पर संतोष ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की एक जानदार प्रतिमा बनाई है. बांस की चमक और सजावट ऐसी कि मानो ये जीवंत प्रतिमा हो.
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ग्रामीण परिवेश में प्रतिभा देखने को मिलती है ऐसे ही प्रतिभा के धनी हैं संतोष महली. संतोष बांस से किसी की प्रतिमा बना देते हैं. कई दिनों की मेहनत के बाद एक प्रतिमा को बनाने में संतोष कामयाब होता है लेकिन इस मेहनत की कद्र नहीं है. इस बार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की प्रतिमा संतोष ने बनायी है. इस प्रतिमा से संतोष को काफी उम्मीदें हैं. उसे उम्मीद है कि जिस भगवान के अयोध्या वापस आने पर दीपों का पर्व दीपावली मनाया जाता है उसी भगवान की प्रतिमा से शायद उसके घरों में दीया जले और ये दीपावली बेहतर हो और खुशहाली आए.
इतिहास विषय में स्नातक की पढ़ाई कर चुका संतोष भी घर को संभालने में लगा है. संतोष बताता है कि मां-पिता के साथ सूप, टोकरी नहीं बनाता है. उसके पास जो कोई ऑर्डर आता है तो वह काम कर देता है. यह भी बताया कि एक प्रतिमा को बनाने में 7-15 दिनों तक का समय लगता है.
बहुत कम मिलता है ऑर्डर
संतोष का यह भी कहना है कि उसकी बनायी गयी मूर्तियों या अन्य कलाकृति की तारीफ तो सभी करते हैं लेकिन काम के लिए ऑर्डर कम मिलता है. उसने कहा कि झारखंड सरकार भी उन हुनरमंदों की तरफ ध्यान नहीं देती. जबकि असम या अन्य राज्यों में बांस से जुड़े उद्योग को सरकार सहयोग कर रही है. झारखंड सरकार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए. दूसरी तरफ स्थानीय समाजसेवी कहते हैं कि सरकार को इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है. प्रणय प्रबोध नामक युवक का कहना है कि हुनरमंदों को लेकर समाज को भी बेहतर सोचने की दरकार है.