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बेटी की डोली से पहले उठी पिता की अर्थी, शादी की खुशियां मातम में तब्दील

गिरिडीह में अपनी बेटी की डोली उठने के ठीक दो दिन पहले एक व्यक्ति ने दम तोड़ दिया. दरअसल, ताराटांड़ के रहने वाले कृष्णा यादव की अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया लेकिन इसके पहले ही उनकी मौत हो गई. शादी वाले घर में अब सन्नाटा पसरा है.

person died due to sudden deterioration in giridih
बेंगाबाद थाना

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Published : May 5, 2021, 7:57 AM IST

गिरिडीहः कोरोना काल में पूरे देश भर से ऐसी खबरें सामने आ रही हैं जो लोगों को झकझोर दे रही है. कई जिंदगियां असामयिक मौत की आगोश में समा रही हैं. चंद मिनटों में खुशियां मातम में तब्दील हो रही है और कितने सपने बिखरते जा रहे हैं. ऐसी ही एक घटना जिला के बेंगाबाद प्रखंड अंतर्गत ताराटांड़ से सामने आई है, जहां एक पिता का कन्यादान का अरमान धरा रह गया और बेटी अपने जीवन के सबसे अनमोल घड़ी में पिता के आशीर्वाद से महरूम हो गई.

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बेटी की डोली से पहले उठी पिता की अर्थी

बेंगाबाद प्रखंड के ताराटांड़ में एक बेटी की डोली उठने से पहले उसके पिता की अर्थी उठ गई. दरअसल, ताराटांड़ के रहने वाले 40 वर्षीय कृष्णा यादव की बेटी निशा की शादी 7 मई को होने वाली थी. मगर नियति को कुछ और मंजूर था, बेटी की बारात आने से ठीक दो दिन पहले पिता की तबियत बिगड़ी और वह कन्यादान का सपना लिए काल के गाल में समा गए. अस्पताल ले जाते-जाते कृष्णा यादव ने दम तोड़ दिया. इस दुःखद घटना से जहां पूरे परिवार में मातम पसर गया है, वहीं पूरे इलाके में दुःख का माहौल है. शादी की तैयारियों में जुटा पूरा परिवार टूट गया है और खुशी का माहौल मातमी सन्नाटे में बदल गया है.

अचानक बिगड़ी तबियत

जानकारी के अनुसार कृष्णा यादव सीसीएल में काम करते थे, उनकी बेटी निशा की बारात 7 मई को आने वाली थी. घर परिवार के सदस्य शादी की तैयारियों में जुटे हुए थे. इस बीच 4 मई की सुबह उनकी तबियत बिगड़ी और इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया. गांव वालों ने बताया कि अस्पताल ले जाते समय कृष्णा यादव की हालत ठीक थी. मगर सदर अस्पताल पहुंचने के बाद उनकी स्थिति बिगड़ गयी. सदर अस्पताल से चिकित्सकों ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए धनबाद रेफर कर दिया. धनबाद ले जाने के क्रम में ही उनकी मौत हो गयी.

परिवार के मुखिया की अचानक मौत की खबर से घर में कोहराम मच गया. देर शाम को शव गांव वापस लाया गया और सीधे श्मशान पहुंचाया गया. पिता की आशीर्वाद के साथ नए जीवन की शुरुआत करने का सपना सजाए बैठी बेटी पिता का अंतिम दर्शन तक नहीं कर पाई.

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