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गरीबी का दंश, चिंता और बीमारी में गई पारा टीचर की जान - गिरिडीह में पैसे के अभाव में पारा टीचर की मौत

गिरिडीह में एक पारा शिक्षक की मौत हो गई. जिस पारा शिक्षक की मौत हुई उन्हें पिछले एक वर्ष से वेतन नहीं मिला था. इस घटना के बाद परिजनों ने विभाग से मुआवजा के साथ-साथ नियोजन की मांग की है.

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मौत के बाद मातम

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Published : Sep 24, 2020, 3:48 AM IST

गिरिडीह: सदर प्रखंड के पालमो में एक पारा शिक्षक की मौत हो गई है. मृतक पारा शिक्षक पालमो निवासी लगभग 45 वर्षीय किशुन दास है. किशुन उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय बाराटांड़ में कार्यरत थे. घटना के बाद से गांव में मातम है. घटना को लेकर मृतक के बड़े बेटे कुंदन कुमार दास ने बताया कि उसके पिता को पिछले एक वर्ष से वेतन नहीं मिला था. इसे लेकर कई दफा विभाग से शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. बार-बार कहा जाता रहा कि शिक्षक प्रशिक्षण का कोर्स पूर्ण होने के बाद ही मानदेय मिलेगा. इससे उनके पिता चिंतित रहने लगे. इस बीच उनके पेट में गंभीर रोग हो गया.

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पैसे के अभाव में मौत

लगभग दो महीने पूर्व बीमारी का पता चला तो उनका इलाज गिरिडीह के बाद धनबाद में कराया गया. धनबाद के चिकित्सक ने साफ कहा कि बेहतर इलाज के लिए चेन्नई जाना होगा. लेकिन पैसे की कमी अड़चन बन गई. बताया गया कि मानदेय को लेकर पिछले 26 अगस्त को भी जिला शिक्षा अधीक्षक को आवेदन दिया गया था, लेकिन मानदेय नहीं मिला.

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बेचनी पड़ी जमीन
मृतक की पत्नी गौरी देवी ने कहा कि घर में पैसे की कमी थी. मानदेय नहीं मिलने के कारण उनके पति हमेशा चिंता में डूबे रहते थे. बड़ा बेटा जो कमाता था उसी से किसी तरह घर चलता था. इस बीच बीमारी ने उनके पति को जकड़ लिया. बीमारी बढ़ती गई, लेकिन समुचित इलाज के लिए पैसा नहीं था. इस बीमारी के कारण उनके पति को पुश्तैनी जमीन बेचनी पड़ी. इसके बाद भी जान नहीं बची, क्योंकि वो पैसे भी कम पड़ गए.

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अनट्रेंड पारा टीचर के मानदेय पर है रोक: डीएसई
जिला शिक्षा अधीक्षक अरविंद कुमार ने कहा कि किशुन दास अनट्रेंड पारा शिक्षक थे. अनट्रेंड पारा शिक्षक के मानदेय पर रोक है. यही वजह थी कि उन्हें मानदेय नहीं मिल रहा था. हालांकि, मौके पर पहुंचे पूर्व मुखिया जितेंद्र पांडेय ने कहा कि कोशिश की जाएगी कि उन्हें उनका पैसा मिल सके.

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