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'तिलस्मी कुआं' के पानी का ऐसा रहस्य, आप जानकर हो जाएंगे हैरान - giridih news

गिरिडीह के बगोदर प्रखंड में खटिया पहाड़ स्थित है. मान्यता है कि इस पहाड़ में स्थित है एक तिलस्मयी कुआं. कहा जाता है कि सूर्योदय के पहले इसका पानी नीले रंग का दिखाई देता है और सूर्योदय के बाद दुध के रंग जैसा और यहीं इस पहाड़ी में विराजमान हैं हनुमान भगवान.

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'तिलस्मी कुआं' के पानी का रहस्य

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Published : Apr 13, 2020, 8:09 PM IST

गिरिडीहः जिले के बगोदर प्रखंड अंतर्गत खटिया गांव में खटिया पहाड़ स्थित है. पहाड़ के नीचे तालाब रहने के कारण पहाड़ की खुबसूरती दोगुनी बढ़ जाती है. पहाड़ के बीचों-बीच एक गुफा स्थित है. गुफे में भगवान हनुमान की प्रतिमा स्थित है. किदवंती है कि सदियों पूर्व भगवान हनुमान यहां आप रूपी प्रकट हुए हैं. इसी आस्था और विश्वास को लेकर यहां लोगों का आना-जाना लगा रहता है.

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धरातल से करीब 50 मीटर ऊपर सीढ़ियों से चढ़कर गुफा में पहुंचा जाता है. गुफा का आकार मंदिर की तरह है. गुफा के चारों तरफ चट्टान और ऊपर से छतनुमा एक चट्टान है और इसी गुफे में भगवान हनुमान की प्रतिमा विराजमान है. लोगों का कहना है कि यहां पूजा-अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

कुआं के पानी का बदलता है रंग!

मंदिर की देखरेख करने वाले स्थानीय निवासी बाबा मनू महतो के अनुसार खटिया पहाड़ परिसर के अंदर वर्षों पूर्व एक कुआं बनाया गया है. मनू महतो बताते हैं कि सूर्योदय के पूर्व कुएं के पानी का रंग सामान्य पानी की तरह नीला होता है और जब सूर्योदय के बाद पानी का रंग बदल कर सादा हो जाता है बिल्कुल दूध की तरह. मनू कहते हैं कि पानी का भी स्वाद निराला है. अगर किसी को प्यास लगी है और उसे एक गिलास पानी पीने की इच्छा हो तब न चाहते हुए भी वह एक लोटा पानी पी जाता है. वो बताते हैं कि ऐसा पानी आसपास के इलाके में नहीं है.

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शेर की सवारी करते थे दुबिया बाबा!

बाबा मनु महतो बताते हैं कि सदियों पूर्व यहां दुबिया बाबा नाम के एक साधू हुआ करते थे. मंदिर की देखभाल और पूजा-अर्चना करने का काम वे किया करते थे. उनका कहना है कि वे शेर पर सवारी करते थे और दूब घास खाते थे और दूध पीते थे. स्थानीय बताते हैं कि पहाड़ के अंदर एक तालाब और बगीचा भी है. गुफा से तालाब और बगीचा जाने का रास्ता भी है.

हालांकि, अब यह रास्ता बंद हो चुका है. लेकिन दुबिया बाबा उसी गुफा के रास्ते से होकर पहाड़ के नीचे जाते थे और तालाब से पानी और बगीचा से फूल लाकर भगवान हनुमान की पूजा अर्चना करते थे. मनु महतो का यह भी कहना है की दुबिया बाबा के पास दो शेर हुआ करते थे. एक शेर पर वे खुद सवारी करते थे और दूसरा शेर जानवरों की रखवाली करता था.

दूर- दराज से पहुंचते हैं श्रद्धालु

बाबा मनु महतो बताते हैं कि आसपास के लोगों के अलावा रांची, पटना, धनबाद, गिरिडीह, हजारीबाग सहित अन्य दूर-दराज के शहरों से श्रद्धालुओं का यहां आगमन होता है और वे बड़े आराम से आप रूपी प्रकट हुए भगवान हनुमान की पूजा आराधना करते हैं. वे कहते हैं कि यहां सच्चे मन से जो भी पूजा अर्चना करता है, उनकी मन्नत पूरी होती है और उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि श्रद्धालुओं का यहां आना-जाना जारी रहता है.

पहाड़ के चोटी पर भी है मंदिर बाबा

मनू महतो बताते हैं कि खटिया पहाड़ के ऊपर भी मंदिर है. पहाड़ की चोटी पर भी मंदिर का निर्माण किया गया है और श्रद्धालु चोटी पर पहुंच कर मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं. इसके अलावा स्थानीय लोग खटैया पहाड़ को विकसित करने की मुहिम भी चला रहे हैं. इसके तहत यहां राधा कृष्ण की मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. तत्कालीन विधायक नागेंद्र महतो के सहयोग से यहां एक शेड भी बनाया गया है. उन्होंने इस स्थल को विकसित करते हुए पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग की है.

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