गिरिडीह: आज दुनिया भर में मजदूर दिवस मनाया जा रहा है. मजदूरों के हक- अधिकार की बातें की जा रही है. मगर मजदूरों को आज भी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. कुछ ऐसी ही कहानी है मलेशिया में फंसे जिले के 20 मजदूरों की. जो आज भी ढाई महीने से वहां फंसे हुए हैं. जबकि घर लौटे 10 मजदूरों ने जिंदगी में फिर कभी मलेशिया नहीं जाने की कसम खायी है.
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रोजगार के लिए गए थे मलेशिया:घर वापस लौटे मजदूरविनोद महतो व रामेश्वर महतो की माने तो वे मलेशिया में ढ़ाई महीने तक फंसे रहे. इस दौरान उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. उन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती थी. एक-एक कमरे में 30 मजदूरों को रहना पड़ता था. इसके अलावे कंपनी मजदूरी का भुगतान भी नहीं कर रही थी. किसी तरह पैसा मिलने के बाद उनकी घर वापसी संभव हो पाई है. मजदूरों ने फिर कभी मलेशिया नहीं जाने की कसम खायी है.
30 मजदूर गए थे मलेशिया:बता दें कि गिरिडीह, हजारीबाग और बोकारो जिले के तीस मजदूर तीन साल पूर्व रोजगार के लिए मलेशिया गए थे. जहां वे फंस गए. मजदूरों ने सोशल मीडिया में वीडियो वायरल कर अपनी पीड़ा को साझा करते हुए सरकार से वतन वापसी में सहयोग की अपील की. सरकार की पहल के बाद मजदूरों की वतन वापसी की प्रक्रिया शुरू हुई. पहले जत्थे में 28 अप्रैल को दस मजदूरों की वापसी हुई. 20 मजदूर अब भी वहां फंसे हुए हैं. इधर बगोदर के पूर्व विधायक नागेंद्र महतो वापस लौटे मजदूर विनोद महतो से मुलाकात कर हालचाल जाना. उन्होंने सरकार से प्रवासी मजदूरों के हित में कोई ठोस नीति बनाने की अपील की. ताकि प्रवासी मजदूरों को विपदा की घड़ी में सरकारी सहायता मिल सके.