गिरिडीहः कोडरमा लोकसभा सीट पर सबसे अधिक बार भाजपा ने जीत दर्ज की है. अभी भी यह सीट भाजपा के कब्जे में है. लेकिन एकमात्र नेता बाबूलाल मरांडी ही रहे हैं. जो इस सीट से कभी भी चुनाव नहीं हारे. वहीं हाल के दो लोकसभा चुनाव में भाकपा माले का जनाधार भी बढ़ा है.
अभ्रख-कोयला, बेशकीमती पत्थरों जैसे खनिज संपदा से भरे कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी उफान पर है. हर चौक-चौराहे पर चुनाव की चर्चा है. इस बार भी यहां पर त्रिकोणात्मक संघर्ष होने के आसार अभी से दिखने लगा हैं. अभी से यह कयास लगाया जा रहा है कि 2019 के चुनाव में भाजपा, माले और महागठबंधन की ओर से जेवीएम के उम्मीदवारों के बीच ही संघर्ष होना है. ऐसे में इस लोकसभा क्षेत्र में तीनों दलों की सक्रियता बढ़ गयी है. इस सीट के इतिहास की चर्चा करे तो 1977 से 2014 तक यहां पर 12 दफा लोकसभा का चुनाव हुआ है.
पांच बार जीते रीतलाल वर्मा
इस लोकसभा सीट पर सबसे अधिक रीतलाल प्रसाद वर्मा ने जीत दर्ज की है. रीतलाल पांच बार यहां से विजयी रहे. एक बार रीतलाल प्रसाद वर्मा भारतीय लोकदल व दूसरी बार जनता पार्टी तो तीन बार भाजपा के टिकट पर विजयी रहे. वहीं कांग्रेस के तिलकधारी सिंह दो बार तो जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने तीन बार यहां से जीत दर्ज की है. बाबूलाल एक बार भाजपा, एक बार निर्दलीय तो एक बार जेवीएम की टिकट पर जीत दर्ज कर चुके हैं.
बड़ी बात है कि इस लोकसभा सीट से आठ बार लड़नेवाले रीतलाल प्रसाद वर्मा ने तीन बार हार का मुंह देखा है. आठ बार चुनाव लड़नेवाले तिलकधारी भी छह बारे हारे हैं. लेकिन तीन बार चुनाव लड़ चुके बाबूलाल मरांडी एक बार भी पराजित नहीं हुए हैं.
धीरे-धीरे बढ़ता गया माले का जनाधार
हाल के तीन लोकसभा चुनाव में मिले वोटों का आंकलन करें, तो इस लोकसभा सीट पर भाकपा माले ने खुद को न सिर्फ स्थापित किया बल्कि सीधी टक्कर भी दी. जिस भाकपा माले को 1999 के चुनाव में महज 21 हजार एक सौ मत मिला थे. वहीं माले आज जीत की प्रबल दावेदार में से एक बनकर उभर आयी है.