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बांस से प्रतिमा में जान फूंकने वाले गिरिडीह के संतोष को मिला रोजगार, JSLEPS ने बनाया प्रशिक्षक

गिरिडीह के रहने वाले संतोष बांस से किसी की प्रतिमा में जान फूंक देता है. काफी मेहनत से वो बांस से अलग-अलग कारीगरी कर प्रतिमा बनाता है. लेकिन उन्हें मदद नहीं मिल पा रही थी. ईटीवी भारत ने संतोष से जुड़ी समस्याओं को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. जिसके बाद अब जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया है.

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संतोष को मिला रोजगार

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Published : Oct 31, 2021, 3:46 PM IST

गिरिडीह: जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत पांडेयडीह पंचायत के फुलजोरी निवासी संतोष महली बांस से तरह-तरह की कलाकृतियां बनाते हैं. हुनरमंद संतोष बांस से ही किसी की प्रतिमा को जीवंत कर देता है. पढ़ाई के साथ-साथ वह पार्ट टाइम में बांस की प्रतिमा और सजावट का सामान बनाता है. लेकिन उसे रोजगार नहीं मिल रहा था. जिसके कारण उसकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है. ईटीवी भारत ने संतोष की इन समस्याओं को लेकर प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी. जिसके बाद अब उन्हें मदद मिल गई है.

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संतोष की खबर प्रकाशित होने के बाद जिला प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया. डीसी राहुल कुमार सिन्हा के निर्देश पर JSLPS डीपीएम संजय कुमार ने संतोष की प्रतिभा को पहचानते हुए उसे प्रशिक्षक बनाया है. संतोष अब उग्रवाद प्रभावित पीरटांड़ के सिंघपुर में चलाए जानेवाले जेएसएलपीएस के यूनिट में बतौर प्रशिक्षक काम करेगा. जहां एक सौ महिलाओं को संतोष ट्रेंड करेगा.

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DPM ने ली पूरी जानकारी


रविवार को संतोष महली को जेएसएलपीएस कार्यालय बुलाया गया. जहां पट डीपीएम संजय कुमार ने काफी देर तक संतोष से बात की और समझा की संतोष को बांस की कितनी जानकारी है और वह क्या-क्या चीज बना सकता है. पूरी जानकारी लेने के बाद उसे प्रशिक्षक नियुक्त किया गया. डीपीएम ने बताया कि संतोष अभी मई तक प्रशिक्षण देगा. उसके बाद भी यदि वह काम करना चाहता है तो काम कर सकता है.



संतोष ने ईटीवी भारत को दिया धन्यवाद

संतोष ने ईटीवी भारत को बेहतर पहल के लिए धन्यवाद दिया है. उन्होंने कहा कि उसकी प्रतिभा को सब के सामने लाने में ईटीवी भारत का विशेष योगदान है. ईटीवी भारत के सहयोग को कभी भूला नहीं जा सकता.

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प्रतिभा का धनी है संतोष


संतोष बांस से किसी की प्रतिमा बना देते हैं. कई दिनों की मेहनत के बाद एक प्रतिमा को बनाने में संतोष कामयाब होता है. स्नातक तक की पढ़ाई कर चुके संतोष की तारीफ हर कोई करता है. उनके पिता राजकुमार महली और मां जहरी देवी दशकों से बांस का सूप, दउरा बनाकर बेचते हैं.

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