गिरिडीह:जिलेबगोदर के बिष्णुगढ़ सीमावर्ती इलाके के अटका- बुढ़ाचांच से कुछ दूरी पर झरना बाबा गुफा स्थित है. इस गुफा की दूरी धरातल से 2 सौ मीटर के करीब है. इसी गुफा में विराजमान हैं भगवान भोले सहित अन्य देवी-देवता. गुफा के चट्टानों में भगवान की आकृतियां हैं, ऐसा श्रद्धालुओं का मानना है. श्रद्धालुओं का यह भी मानना है कि यहां मांगें जाने वाली मन्नतें पूरी होती हैं. इसी आस्था और विश्वास के साथ श्रद्धालु यहां किसी तरह पहुंचते हैं और पूजा-अर्चना की जाती है. मंदिर का पुजारी आदिवासी समाज का एक व्यक्ति है.
खतरों पर आस्था भारी
झरना बाबा जहां विराजमान हैं वहां सभी का पहुंचना पाना संभव नहीं है. क्योंकि वहां तक पहुंचने के लिए रास्ते सुगम नहीं हैं. ऊपर-नीचे होकर चट्टानों पर चढ़कर गुफा तक पहुंचा जाता है. इस बीच यहां का एक दृश्य जो है वह खतरे के समान है. झरना बाबा तक पहुंचने के लिए एक ऐसा भी राह है जहां एक चट्टान से दूसरे चट्टानों तक जाने के लिए लकड़ी पर चलकर जाना पड़ता है. यहां के पुजारी ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दो-चार लकड़ियों से दो चट्टानों की दूरियों को पाटने का काम किया है. श्रद्धालुओं ने इस परिसर तक आवागमन दुरूस्त किए जाने की मांग की है.