झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / city

जवान की मौत के बाद परिवार के सामने भूखे मरने की नौबत, पत्तल बनाकर भूख मिटाने की कर रहे जुगाड़ - Bad condition of family of dead Jharkhand Police jawan in Giridih

गिरिडीह के गहिरजोर निवासी झारखंड पुलिस के जवान की मौत के बाद उनका परिवार दाने-दाने को तरस रहा है, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. जवान का परिवार हर रोज पत्तल बेचकर दो वक्त की रोटी की जुगाड़ करता है.

Bad condition of family of dead Jharkhand Police jawan in Giridih
जवान के परिवार की बूरी हालत

By

Published : May 13, 2020, 6:29 PM IST

गिरिडीहः जिला के बेंगाबाद थाना अंतर्गत गहिरजोर निवासी झारखंड पुलिस के जवान की मौत के बाद पूरे परिवार के सामने भूख से मरने की नौबत आ गयी है. मृतक जवान का परिवार जंगल से पत्ते चुनकर उसका पत्तल बनाकर बेचने के बाद दो वक्त की रोटी की जुगाड़ कर रहा है. जवान की मौत के चालीस दिन बीत जाने के बाद भी उनके परिवार को किसी प्रकार की विभागीय सहायता नहीं मिली है. जिससे पूरे परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है.

देखें पूरी खबर
पाकुड़ में सेवा दे रहे थे बेंगाबाद के जवान

बेंगाबाद प्रखंड के गहिरजोर के रहने वाले जवान बाबूराम हांसदा पाकुड़ जिला के महेशपुर थाना में अपनी ड्यूटी दे रहे थे. बीते एक अप्रैल को उनकी मौत ड्यूटी के दौरान ही पाकुड़ में हो गयी. बताया गया कि बीमारी के कारण उनकी मौत हुई है. चार अप्रैल को उनका शव पैतृक आवास गहिरजोर लाया गया और अंतिम संस्कार किया गया. तब से लेकर आज तक जवान का परिवार पल-पल मजबूरी के आंसू रोने को विवश है.

जवान की मौत के बाद परिवार के सामने काफी विकट स्थिति उत्पन्न हो गयी है. घर में ना तो खाने के लिए अनाज है और ना ही राशन कार्ड, जिससे की परिवार वालों के सामने भूख से मरने की नौबत आ पड़ी है.

ये भी पढ़ें-गिरिडीहः कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने से हड़कंप, प्रशासन ने पूरे गांव को किया सील

नहीं मिली किसी प्रकार की सुविधा

जवान की मौत के बाद विभागीय स्तर पर भी परिवार को किसी प्रकार की सहायता नहीं मिल पाई है. परिजनों ने बताया कि मृत्यु के पहले भी जवान बाबूराम हांसदा को दो तीन माह का वेतन नहीं मिला था. मृतक जवान के 17 वर्षीय बेटे दानियाल हांसदा ने बताया कि पिता की मौत के बाद किसी ने उनकी कोई खोज खबर अभी तक नहीं ली है. घर में मृतक जवान की मां और उनकी विधवा के अलावा छह बच्चे हैं.

मृतक के पुत्र ने बताया कि एक बड़ी बहन की शादी हो चुकी है, जबकि दो बहनें शादी की उम्र के पड़ाव पर हैं. छोटी बहनों की पढ़ाई भी छूट गयी है. पिता के गुजरने के बाद पूरा परिवार जंगल से पत्ते चुनकर लाता है और पत्तल बनाकर बेचता है तब जाकर उन्हें दो वक्त की रोटी नसीब हो पा रही है.

लॉकडाउन में नहीं मिला किसी प्रकार का सहयोग

मृतक जवान के परिजनों ने बताया कि इस महामारी के दौरान लॉकडाउन में भी उनके परिवार को किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिली. मृतक की विधवा का बैंक अकाउंट भी बैंक में नहीं खोला जा रहा है. पूरा परिवार एक-एक रुपए को मोहताज हो गया है. परिवार वालों का कहना है कि मदद के इंतजार में आंखें पथरा गयी हैं.

For All Latest Updates

TAGGED:

ABOUT THE AUTHOR

...view details