दुमका: जिला में मयूराक्षी नदी का पानी कुरुवा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से फिल्टर कर पीने योग्य बनाया जाता है. इसके बाद उसे पाइप लाइन के जरिए लोगों के घरों तक पहुंचाया जाता है. इसके अतिरिक्त अन्य जलाशयों की बात करें, तो अधिकांश जलाशयों की स्थिति बदहाल है. जिसका पानी प्रदूषित हो चुका है.
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दुमका के अधिकांश जलाशयों की स्थिति बदहाल है. अगर यहां के 2 प्रमुख जलाशय खूंटा बांध और बड़ा बांध की बात करें, तो इसका पानी प्रदूषित हो चुका है. लोगों ने उसे कचराखाना बना लिया है. मसानजोर डैम के जल अधिग्रहण क्षेत्र लखिकुंडी की बात करें, तो इसकी पानी की स्थिति ऐसी है कि मवेशियों के पीने लायक भी नहीं रह गया है. कुल मिलाकर कहा जाए तो अधिकांश जलाशय रखरखाव के अभाव में प्रदूषित हो चुके हैं, जो भविष्य के लिए काफी खतरनाक है.
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
दुमका के जलाशयों की बदहाल स्थिति और उसके पानी के प्रदूषित होने के संबंध में स्थानीय लोग काफी चिंतित हैं. लोगों का कहना है कि जो भी जलाशय आज प्रदूषित नजर आ रहे हैं, कुछ वर्ष पहले तक ऐसी स्थिति नहीं थी. इन सभी की स्थिति काफी बेहतर थी, रखरखाव के अभाव में ये बदहाल होते चले गए. अब तो इसका पानी किसी लायक नहीं है. इसका पानी पीकर हाल के दिनों में कई मवेशियों की मौत तक हो गई है. वो सरकार से इस दिशा में आवश्यक पहल की मांग कर रहे हैं, ताकि तमाम जलाशय अपनी पुरानी स्थिति में आ जाए.
क्या कहती हैं उपायुक्त
दुमका के प्रमुख जलाशयों का प्रदूषण लेवल बढ़ता जा रहा है, जिससे पूरे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है. इस संबंध में ईटीवी भारत की टीम दुमका प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के कार्यालय पहुंची, जो बंद मिला. उनके अधिकारी कमलाकांत पाठक ने फोन पर बताया कि कार्यालय लॉकडाउन में बंद है. उन्होंने बताया कि जहां तक वाटर बॉडी के प्रदूषण और ऑक्सीजन लेबल की जांच की बात है, वो हाल के दिनों में नहीं किया गया है. इस पूरे मामले पर जिला की उपायुक्त राजेश्वरी बी ने कहा कि जलाशय कैसे बेहतर हों इसके लिए काम हो रहा है. साथ ही साथ वर्षा का पानी का भी संचयन करने की दिशा में कार्रवाई चल रही है.
शीघ्र आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता
जिस तरह से उचित देखरेख के अभाव में दुमका के अधिकांश जलाशय दूषित हो चुके हैं. यह मनुष्य, पशु-पक्षी, पर्यावरण सभी के लिए घातक है. एक स्पेशल अभियान चलाकर इस दिशा में आवश्यक पहल की जरूरत है.