दुमकाः आपने अक्सर देखा होगा कि लोग अपनी मांगों को पूरा करने को लेकर सरकारी कार्यालय या जनप्रतिनिधियों के आवास के समक्ष धरना देते हैं. लेकिन दुमका स्थित बासुकीनाथ मंदिर में भगवान शिव के भक्त अपनी मन्नतों और मांगों को लेकर धरना देने की अनोखी परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है. इसके पीछे की मान्यता है कि बाबा बासुकी के दरबार में धरना देने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.
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सदियों से चला चली आ रही धरना देने की परंपरा
अधिकांश लोग पूजा-अर्चना करने के लिए मंदिर जाते हैं और अपने इष्ट देवी-देवताओं की आराधना करते हैं. उनके सामने हाथ जोड़ कर मन्नत मांगते हैं कि ईश्वर मेरी पुकार सुन लो. लेकिन झारखंड के दुमका जिला में बासुकीनाथ ऐसा मंदिर है जहां भक्त अपनी मांगों को लेकर भगवान शिव के सामने धरने पर बैठ जाते हैं.
बासुकीनाथ मंदिर में भक्त अपनी मांगों-मन्नतों को लेकर धरना देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. वर्तमान समय में भी दो दर्जन से अधिक पुरुष और महिलाएं यहां धरना दे रही हैं. कोई शारीरिक कष्ट से मुक्ति चाहता है तो कोई केस मुकदमा से परेशान है और अपने पक्ष में उसका हल चाहता है. कोई संतान की इच्छा रखता है तो किसी को नौकरी चाहिए या जिस किसी की शादी नहीं हो रही तो वह वैवाहिक बंधन में बनना चाहता है. हर कोई अपनी फरियाद लेकर अपनी मन्नतों के साथ महीनों और वर्षों से धरने पर बैठे हैं.
क्या कहते हैं बासुकीनाथ मंदिर में बैठे धरनार्थी
ये सभी झारखंड-बिहार के कई जिलों से आकर बाबा की शरण में डेरा जमाए हुए हैं. यह सभी धरनार्थी मंदिर परिसर से लेकर शिव गंगा तट की साफ-सफाई अपने इष्ट देव की सेवा के तौर पर करते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने बासुकीनाथ मंदिर परिसर में धरना पर बैठे कई लोगों से बात की. उन्होंने बताया कि हम अपनी समस्या के समाधान के लिए बाबा के द्वार पर आए हैं. किसी ने शारीरिक कष्ट की जानकारी दी तो कोई केस-मुकदमा में अपने पक्ष में जीत चाहता है.
कई ऐसे भी लोग हैं जो यह बताना नहीं चाहते कि वह क्यों आए हैं पूछे जाने पर बस मुस्कुराकर रह जाते हैं. वो कहते हैं कि भगवान जब मेरी सुन लेंगे तो मैं अपना धरना समाप्त कर दूंगा. बाबा बासुकीनाथ के दरबार में विरेंद्र यादव तीन साल से धरने पर बैठे हैं और शारीरिक कष्ट से मुक्ति चाहते हैं. वहीं निर्मला देवी जो बिहार के बांका जिला की रहने वाली हैं वह भी दो साल से धरना दे रही हैं. जबकि रामदेव भी सालभर से बाबा के द्वार पर धरना दे रहे है. सभी की अपनी-अपनी मांगे हैं वो अपनी-अपनी समस्या का समाधान चाहते हैं.