दुमका: सरकारी सिस्टम से काम करने में किस तरह की लापरवाही बरती जाती है इसका नमूना आप दुमका के अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय आकर देख सकते हैं. जहां लाखों रुपए के जेनरेटर और सोलर सिस्टम तो इंस्टॉल कर दिया गया, लेकिन इसका कोई इस्तेमाल नहीं होता. इससे उन पहाड़िया समुदाय के बच्चों को कोई लाभ नहीं मिल पाया जिसके लिए बड़ी राशि खर्च हुई.
क्या है पूरा मामला ?
दुमका के सदर प्रखंड के आसनसोल गांव में आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय के बच्चों के आवासीय विद्यालय में कई वर्ष पहले चार लाख की लागत से जेनरेटर लगा. लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं हुआ, खास बात यह है कि छह माह पूर्व फिर ऊर्जा के वैकल्पिक व्यवस्था के लिए लाखों की लागत से सोलर सिस्टम लगाया गया. आज तक इसका कनेक्शन ही नहीं जोड़ा गया है.
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छात्रों को हो रही है परेशानी ?
झारखंड सरकार का कल्याण विभाग पहाड़िया समुदाय के उत्थान के लिए इस आवासीय विद्यालय का संचालन करती है. अब एक बड़ी राशि से इन गरीब बच्चों की सुविधा के लिए जेनरेटर आउट सोलर सिस्टम लगा लेकिन जब दोनों बेकार साबित हो रहे हैं तो इस हॉस्टल में रहने बच्चे काफी नाराज हैं. वे कहते हैं बिजली जाती है तो अंधेरे में रहना पड़ता है हालांकि कुछ बच्चों के पास इमरजेंसी लाईट हैं पर पढ़ाई नहीं हो पाती.
क्या कहता है प्रबंधन ?
इस संबंध में स्कूल प्रबंधन भी परेशान हैं उनका कहना है कि सोलर का कनेक्शन ही नहीं है हम क्या करें. वहीं जेनरेटर तो कई वर्ष पहले लगा लेकिन उसका ईंधन कहां से आयेगा और दूसरी बड़ी बात कि इसका भी कनेक्शन स्कूल में नहीं है. इधर दुमका के कल्याण विभाग बिनोद वर्मा के पदाधिकारी के बाहर रहने के कारण उनकी कैमरे पर प्रतिक्रिया नहीं ली जा सकी पर उन्होंने फोन पर बताया कि वे सुनिश्चित कराएंगे कि जो उपकरण लगे हैं उसका लाभ मिले सके.