दुमका:जिले की लगभग सभी नदी में छह-सात माह से ज्यादा पानी नहीं रहता. वाटर लेबल नीचे होने की वजह से कुंआ भी अब पानी की पूर्ती करने विफल हो रहा है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में पानी का सबसे बड़ा साधन चापाकल है. चापाकल की इसी विशेषता को देखते हुए सरकार ने जिले में लगभग 24 हजार चापाकल लगवाये हैं. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सरकारी आंकड़ों के इन 24 हजार चापाकल में लगभग पांच हजार चापाकल खराब हैं.
खराब चापाकल का वास्तविक आंकड़ा 6 हजार से अधिक होना चाहिए. मतलब प्रत्येक चार चापाकल में एक चापाकल खराब है. इससे ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है. चापाकल खराब हो गया तो वह कब बनेगा कहना मुश्किल होता है. दुमका जिले में 10 प्रखंड हैं. इन प्रखंडों में चापाकल की स्थिति कुछ इस प्रकार है.
दुमका में चापाकल के आंकड़े | ||
प्रखंड का नाम | कुल चापाकल | खराब चापाकल |
दुमका | 2614 | 442 |
मसलिया | 2490 | 358 |
जामा | 3349 | 655 |
रामगढ़ | 2585 | 437 |
जरमुंडी | 3307 | 955 |
सरैयाहाट | 2642 | 634 |
शिकारीपाड़ा | 2219 | 368 |
काठीकुंड | 1507 | 393 |
गोपीकांदर | 975 | 178 |
रानीश्वर | 2155 | 518 |
क्या कहते हैं ग्रामीण
खराब पड़े चापाकल के सबंध में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का कहना है कि हमारे लिए पानी का सबसे बड़ा स्रोत चापाकल ही है. लेकिन यह काफी संख्या में खराब है. उनका कहना है कि सबसे बड़ी बात यह होती है कि चापाकल जब खराब हो जाता है तो महीनों तक वह खराब ही रहता है. कोई देखने वाला नहीं है. लोगों का कहना है कि चापाकल के महत्व को देखते हुए इसे यह सुनिश्चित किया जाए कि जैसे ही यह खराब होता है दो-चार दिन में ही बन जाए.