दुमका:ईटीवी भारत ने इसी माह दुमका स्थित मुख्यमंत्री सचिवालय कैंप कार्यालय की बदहाली की खबर प्रकाशित की थी. जिसमें बताया गया था कि मुख्यमंत्री सचिवालय कैंप कार्यालय पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. इसके बाद प्रशासन ने इस पर संज्ञान लिया और जर्जर हो रहे सीएम कैंप कार्यालय की मरम्मत का काम शुरू हो गया.
स्थानीय लोगों ने ईटीवी भारत को दिया धन्यवाद
मुख्यमंत्री सचिवालय कैंप कार्यालय भवन जर्जर हो रहा था इसमें रखे लाखों रुपए के फर्नीचर खराब हो रहे थे इसकी दुर्दशा से स्थानीय काफी मायूस थे. वे प्रशासन से इन पर ध्यान देने की मांग कर रहे थे. जब ईटीवी भारत ने खबर को प्रकाशित किया तब प्रशासन जागा और भवन मरम्मति का काम शुरू हो गया. इससे यहां के लोगों में काफी खुशी हो रही है और वह इसके लिए ईटीवी भारत को धन्यवाद दे रहे हैं. उनका कहना है कि ईटीवी भारत के प्रयास से ही यह सीएम कैंप कार्यालय के बदहाली का मामला सामने आई और अब इसकी मरम्मत की जा रही है. इधर, कार्यालय के कर्मी मनोज कुमार दास का कहना है कि भवन काफी जर्जर हो गया था और इसमें काम करने में डर लग रहा था. अब इसकी मरम्मति शुरू हुई हो गई तो यह उम्मीद की जा सकती है कि सुसज्जित होने के बाद मुख्यमंत्री खुद आकर इसमें बैठकर जनता की समस्याओं से रूबरू होंगे.
जर्जर हो चुके मुख्यमंत्री सचिवालय कैंप कार्यालय के मरम्मत का काम शुरू, ईटीवी भारत में खबर प्रकाशित होने पर जागा प्रशासन - CM Secretariat Camp Office
दुमका में मुख्यमंत्री सचिवालय कैंप कार्यालय बेहद दयनीय स्थिति में था. इसकी हालत पर ईटीवी भारत ने खबर प्रकाशित की थी. जिसके बाद प्रशासन ने इस कार्यालय की मरम्मत का काम शुरू कर दिया है.
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2006 में बना था यह सीएम कैंप कार्यालय
2006 में जब झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा थे उन्होंने ही इस मुख्यमंत्री सचिवालय कैंप कार्यालय का उद्घघाटन किया था. सरकार का यह उद्देश्य था कि राजधानी रांची से संथालपरगना प्रमंडल के सभी 6 जिलों की दूरी 300 से लेकर 400 किलोमीटर तक है. ऐसे में यहां के लोग अपनी समस्या लेकर मुख्यमंत्री तक पहुंच नहीं पाते हैं जिससे काफी परेशानी होता है. अगर दुमका में सीएम कैंप ऑफिस को डेवलप कर दिया जाए तो लोग सीधे मुख्यमंत्री तक अपनी बात रख सकते हैं. यही वजह थी कि यहां मुख्यमंत्री, उनके प्रधान सचिव, आप्त सचिव का चेंबर बनाया गया. लेकिन जिस उद्देश्य कार्यालय की स्थापना हुई थी, उस उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो पाई और किसी भी मुख्यमंत्री ने जनता को यहां समय नहीं दिया. धीरे-धीरे वक्त बीता और यह मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय का भवन अत्यंत जर्जर हो गया.