दुमकाः दुमका सहित संथाल परगना प्रमंडल में आए दिन सड़क हादसे में लोग घायल हो रहे हैं. इसमें कई लोगों को समुचित इलाज के अभाव में जान गंवानी पड़ती है. इसकी वजह है कि संथाल परगाना प्रमंडल में एक भी ट्रॉमा सेंटर नहीं है. ट्रॉमा सेंटर के अभाव में घायल मरीजों को आपातकालीन चिकित्सीय सुविधा नहीं मिल पाती है.
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संथाल परगना प्रमंडल में दुमका, देवघर, जामताड़ा, पाकुड़, साहिबगंज और गोड्डा जिले हैं. इन जिलों के एक भी अस्पताल में ट्रॉमा सेंटर की व्यवस्था नहीं की गई है और ना ही सुपरस्पेशियलिटी ट्रॉमा सेंटर है. इस स्थिति में सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को सिर्फ प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया जाता है. इससे बेहतर अस्पताल पहुंचते-पहुंचते मरीज की जान चली जाती है.
अगर हम आंकड़ों की बात करें तो दुमका जिले में पिछले 1 वर्ष में 180 लोगों की सड़क दुर्घटना में जान गई है. वहीं, घायलों की संख्या पांच सौ से अधिक हैं. संथाल परगना प्रमंडल में मौत का आंकड़ा 600 से अधिक है. इस स्थिति में सभी जिलों में ट्रॉमा सेंटर स्थापित हो जाये तो निश्चित रूप से मौत का आंकड़ा घटेगा.
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति लचर है. उन्होंने कहा कि दुमका में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हुई तो देवघर में एम्स बना. लेकिन अभी तक इन अस्पतालों में ट्रामा सेंटर नहीं है. क्षेत्रीय उपनिदेशक डॉ अनंत कुमार झा ने बताया कि इस प्रमंडल के सभी जिलों में ट्रॉमा सेंटर बनाने को लेकर सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. उन्होंने कहा कि इस दिशा में कदम उठाये जा रहे हैं.
दुमका के सरैयाहाट प्रखंड के हंसडीहा में दो साल पहले 22 करोड़ की लागत से अस्पताल बनाने का काम शुरू किया गया. लेकिन आज तक यह चालू नहीं हो सका. इस निर्माणाधीन अस्पताल को ट्रॉमा सेंटर बना दिया जाये तो दुमका के साथ साथ गोड्डा, देवघर और बिहार के बांका जिले के लोगों को लाभ मिलेगा.