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दुमका के मजदूर की घर वापसी, कहा- अब कमाने नहीं जाएंगे परदेश, यहीं करेंगे खेती-बाड़ी का काम

दुमका के मजदूर जो दूसरे राज्यों में फंसे थे उनके आने का सिलसिला शुरू हो गया है. अपनी धरती पर कदम रखने के बाद ये काफी राहत महसूस कर रहे हैं और एक स्वर में कहते हैं अब नहीं जाएंगे परदेस कमाने, रहेंगे अपने घर में और खेती बाड़ी या कोई भी काम जो करेंगे यहीं करेंगे.

migrant worker Return to Dumka
प्रवासी मजदूर

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Published : May 5, 2020, 8:33 PM IST

दुमका: झारखंड सरकार और स्थानीय प्रशासन के प्रयास से दूसरे राज्यों में फंसे दुमका के मजदूरों का आना शुरू हो गया है. इन मजदूरों का पहले स्वास्थय जांच किया जा रहा है. उसके बाद इन सबों की प्रोफाइल तैयार की जा रही है. वहीं, मजदूर अपने घर आकर इनके चेहरे पर काफी सुकून नजर आ रहा है, वे राहत की सांस ले रहे हैं और उनका कहना है कि अब रोजगार के लिए बाहर कभी नहीं जाएंगे.

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अब कभी कमाने नहीं जाएंगे परदेश

दुमका के अलग-अलग प्रखंडों के ये मजदूर लंबे समय तक अपने घर से सैकड़ो किलोमीटर दूर लॉकडाउन में फंसे रहे. अब काफी प्रयास के बाद यह अपने घर आ गए हैं. इनका कहना है इस लॉकडाउन ने काफी कुछ सीखा दिया है. अब कमाने के लिए कभी बाहर नहीं जाएंगे. ज्यादा मेहनत से खेती - बाड़ी पर ध्यान देंगे, इसके साथ ही अपने घर में जो भी काम होगा उसे करेंगे. परिवार, बाल-बच्चे के साथ जीवन व्यतीत करेंगे. वे स्थानीय जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन से यह मांग कर रहे हैं कि जो योग्यता है उस अनुरूप उन्हें काम दे ताकि फिर कभी बाहर जाकर ऐसी मुसीबतों का सामना नहीं करना पड़े.

जिला प्रशासन रोजगार से जोड़ने का कर रहा है प्रयास

जिला प्रशासन ने बाहर से आए मजदूरों को रोजगार से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं. इन मजदूरों का जो प्रोफाइल तैयार हो रहा है उसमें उनका नाम पता के साथ यह भी लिखा जा रहा है कि उनमें किस तरह की योग्यता है ताकि योग्यता के अनुसार उनको काम दिया जा सके.

उपायुक्त ने दी जानकारी

इस संबंध में दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी ने जानकारी दी कि बाहर से जो मजदूर आए हैं उन लोगों के लिए रोजगार की व्यवस्था करेंगे. जिले में कई तरह के सरकारी काम चल रहे हैं. उसमें इन्हें जोड़ा जाएगा ताकि इनका जीवन यापन चल सके.

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सरकार के सामने चुनौती

बाहर से सैकड़ों की संख्या में मजदूरों का आना शुरू हो गया है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग तेरह हजार मजदूर बाहर हैं, जिन्हें लाया जा रहा है. अब जब इनका यह कहना है कि हम बाहर नहीं जाएंगे तो सरकार के सामने यह बड़ी चुनौती होगी कि इन सबको रोजगार दे, उनकी आजीविका के साधन तलाशे.

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