दुमकाः उपराजधानी स्थित सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय(SKMU) में अधिकारियों की काफी कमी है. इसके साथ ही इसके अंतर्गत जो तेरह महाविद्यालय(College) आते हैं, उनमें 11 महाविद्यालय(College) में प्रिंसिपल के पद खाली हैं.
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क्या है पूरा मामला
संथाल परगना शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा माना जाता है. यहां के शैक्षणिक व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य 1992 में सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय(SKMU) की स्थापना की गई. पहले संथाल परगना के छह जिलों के महाविद्यालय भागलपुर तिलकामांझी विश्वविद्यालय के अंतर्गत आते थे. सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय (एसकेएमयू) की स्थापना के 30 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन शायद अभी भी इस विश्वविद्यालय के प्रति गंभीरता नहीं दfख रही है.
यूनिवर्सिटी के कई महत्वपूर्ण पद रिक्त
आज एसकेएमयू में उपकुलपति (प्रोवीसी), कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, पुस्तकालयाध्यक्ष, वित्त परामर्शी समेत कई पद खाली हैं. इन सभी पदों पर यहां के किसी शिक्षक को प्रभार मिला हुआ है. जाहिर है कि इससे कामकाज सुचारू रूप से नहीं हो पाता है. हम आपको बता दें कि उपकुलपति और वित्त परामर्शी की नियुक्ति राजभवन से की जाती है. जबकि कुलसचिव, सहायक कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, पुस्तकालयाध्यक्ष का पद झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा भरा जाता है. वर्तमान समय में जब इन महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारी नहीं है तो यह सभी प्रभार में चल रहा है. महाविद्यालय और विश्वविद्यालय के शिक्षक ही इसके प्रभार में हैं.
एसकेएमयू के 13 कॉलेज में 11 में प्रिंसिपल का पद खाली
हम आपको बता दें कि संथाल परगना के 6 जिले में से 13 अंगीभूत महाविद्यालय जो एसकेएमयू के अंतर्गत आते हैं उनमें 11 जिले में प्रिंसिपल का पद रिक्त है. इन सभी महाविद्यालयों में किसी शिक्षक को प्रभारी प्रिंसिपल बना दिया गया है. रेगुलर प्रिंसिपल नहीं रहने से कामकाज बेहतर ढंग से नहीं हो पाता है.
विश्वविद्यालय में कामकाज का भार कॉलेज के कर्मचारियों पर
हम आपको बता दें कि सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय की जब स्थापना हुई तो 89 पद शिक्षकेतरकर्मियों का सृजन किया गया. बड़ी बात यह है कि आज तक विश्वविद्यालय के लिए कर्मचारी की बहाली नहीं हुई. आज जितने कर्मचारी यहां कार्यरत हैं वे सभी या तो पीजी सेंटर के हैं या फिर अन्य महाविद्यालयों के.
विश्वविद्यालय ने इन रिक्तियों को लेकर भेजी है जानकारी ।
जानकारी के मुताबिक एसकेएमयू प्रबंधन ने इन रिक्त पदों की जानकारी झारखंड लोक सेवा आयोग और राजभवन को भेज रखा है लेकिन अभी तक इस पर ठोस पहल नहीं हुई है.