दुमका:कहने को तो दुमका झारखंड की उप राजधानी है पर यहां एक भी ऐसा पार्क नहीं है जहां लोग अपने परिवार के साथ सुकून के दो पल गुजार सकें. इसी को देखते हुए चार वर्ष पूर्व 2018 शहर से चार किलोमीटर दूर हवाई अड्डा रोड स्थित लखीकुंडी गांव में लगभग 10 एकड़ जमीन पर 5 करोड़ की लागत से एक पार्क का निर्माण कराया गया था. उप राजधानी वासियों के लिए यह पार्क कितना महत्वपूर्ण था इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 2018 में तात्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने खुद लखीकुंडी पार्क का उद्घाटन किया था. पूर्व सीएम ने समय के साथ इसे काफी विकसित करने की बात कही थी. लेकिन आज ये पार्क बदहाल है (Lakhikundi Park has become miserable).
लखीकुंडी पार्क की बदहाली: जहां पहले आती थी बच्चों के चहकने की आवाज, आज वह जगह है वीरान - Jharkhand news
सरकारी राशि का दुरुपयोग और जनहित की योजना के साथ खिलवाड़ दोनों को अगर एक साथ देखना हो तो आप झारखंड की उपराजधानी दुमका में देख सकते हैं. यहां 4 वर्ष पहले 5 करोड़ की लागत से हवाई अड्डा रोड के लखीकुंडी गांव में पार्क का निर्माण कराया गया था. जो वर्तमान समय में पूरी तरह से बदहाल हो चुका है (Lakhikundi Park has become miserable). प्रशासन ने उसमें अपना ताला लटका दिया है.
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पांच करोड़ के लागत से बने उद्घाटन के बाद लोगों में काफी खुशी थी. वे पूरे परिवार के साथ आकर यहां पर सुकून के दो पल बिताते. पार्क में बच्चों के मनोरंजन के लिए कई तरह के झूले और खेलकूद के अन्य सामान लगाए गए थे. इतना ही नहीं एक ओपन थिएटर भी विकसित किया गया था. जहां आकर्षक लाइट और आधुनिक साउंड सिस्टम लगाए गए थे. यहां गीत-संगीत के कार्यक्रम आयोजित होते, बोटिंग के लिए तालाब बनवाया गया. उस वक्त लोगों को लगा कि जिस पार्क के लिए लोग वर्षों से तरस रहे थे, जिसका इंतजार हमें लंबे समय से था वह पूरा हुआ. प्रतिदिन पार्क में भीड़ होने लगी और लोगों का स्वस्थ मनोरंजन होने लगा. खास बात यह भी थी कि लोगों को रोजगार जोड़ने के लिए पार्क के अंदर एक मार्केट कॉम्पलेक्स बनाया गया था. पार्क में जो घूमने आते वे यहां की दुकानों से खाने-पीने और अन्य सामानों की खरीददारी करते.
सरकारी उपेक्षा का भेंट चढ़ा लखीकुंडी पार्क:मुख्यमंत्री के उद्घाटन के बाद इस पार्क की शुरुआत तो काफी बेहतर रही. इसमें प्रवेश के लिए 05 रुपये प्रवेश शुल्क लगता लेकिन कुछ ही माह के बाद यह सरकारी उदासीनता के भेंट चढ़ गया. जिला प्रशासन की अनदेखी से यह बदहाल हो गया. वर्तमान स्थिति काफी दयनीय है. चारों ओर झाड़िया उग आई हैं. झूले और खेलने के अन्य सामान टूट फूट गए हैं. ओपन थिएटर जर्जर हो चुका है. लाइट और साउंड सिस्टम कहीं नजर नहीं आते. दुकानें बंद हो चुकी है. मतलब सारा कुछ बर्बाद हो गया है. जाहिर है ऐसी स्थिति में लोगों ने आना छोड़ दिया है. प्रशासन ने मुख्य गेट पर ताला लटका दिया है.
असामाजिक तत्वों ने बनाया अपना ठिकाना:वैसे सार्वजनिक स्थान जहां अच्छे लोग जाना छोड़ देते हैं, उसमें असामाजिक तत्व अपना ठिकाना बना लेते हैं. इस पार्क के साथ भी वही हुआ. पार्क बंद हो गया, लोग नहीं पहुंचने लगे तो असामाजिक तत्वों ने इसे अपना ठिकाना बना लिया. दिनभर नशेड़ियों का जमावड़ा रहता है. भले ही मुख्य गेट पर ताला लटका रहता है लेकिन उन्हें दीवाल फांदने में कोई परेशानी नहीं होती. वे अंदर जाकर अनैतिक कार्यों को अंजाम देते हैं.