दुमका: एक तरफ जहां पूरी दुनिया में जंगलों की कटाई और कम होते पेड़ चिंता का कारण बनी हुई है. वहीं संथाल परगना में जंगलों की वृद्धि की खबर से राहत मिल रही है. एक रिपोर्ट के अनुसार दुमका में 2019 से 2021 तक यहां के जंगल क्षेत्र में 1.31 वर्ग किमी की वृद्धि दर्ज की गई है. संथालपरगना प्रमंडल के वन क्षेत्र में धीमी गति से हो रही वृद्धि की रफ्तार को बढ़ाने के लिए डीएफओ ने संगठित वन माफियाओं पर कार्रवाई की बात कही है.
संथालपरगना प्रमंडल के वन क्षेत्र में इजाफा, 2 सालों में 1.31 वर्ग किलोमीटर का विस्तार
पिछले 2 सालों में दुमका में वन क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है. 1.31 वर्ग किमी की वृद्धि से वन विभाग उत्साहित है. संथालपरगना प्रमंडल के वन क्षेत्र में धीमी गति से हो रही वृद्धि की रफ्तार को बढ़ाने के लिए डीएफओ ने संगठित वन माफियाओं पर कार्रवाई की बात कही है.
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया का रिपोर्ट: फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के द्वारा जारी स्टेट फॉरेस्ट रिपोर्ट की आंकड़ों के अनुसार संथालपरगना प्रमंडलीय मुख्यालय दुमका की बात की जाय ताे इस जिले में बहुत घनत्व वाले जंगल नही है. लेकिन सामान्य घनत्व वाले वनक्षेत्र 259.40 वर्ग किमी और खुला वन क्षेत्र 318.23 वर्ग किमी यानी कुल 577.63 वर्ग किमी तक पहुंच चुका है. 1.31 वर्ग किमी की वृद्धि इसमें 2019 से 2021 तक में दर्ज की गयी है. जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्र 3761 वर्ग किमी का 15.36 प्रतिशत क्षेत्र वन से आच्छादित और हरा-भरा है. वहीं अगर देवघर जिले की बात करे तो यहां कुल भौगोलिक क्षेत्र 2477 वर्ग किमी का 8.31 प्रतिशत ही वन से आच्छादित है. यह स्थिति भी तब है जब इन दो वर्षों में 2.09 वर्ग किमी क्षेत्र में वन क्षेत्र बढ़े हैं. गोड्डा जिले में 2266 वर्ग किमी के भौगोलिक क्षेत्र में 18.68 प्रतिशत भूमि वन से आच्छादित हैं. यहां 12.81 वर्ग किमी में घने वन हैं. जामताड़ा जिले में 1811 वर्ग किमी के भौगोलिक क्षेत्र में 5.85 प्रतिशत वन से आच्छादित हैं. इस जिले में दो साल में 5.38 वर्ग किमी क्षेत्र में हरियाली बढ़ी है. साहिबगंज के 2063 वर्ग किमी में 27.82 प्रतिशत यानी 573.95 प्रतिशत क्षेत्र हरा-भरा हुआ है. जबकि पाकुड़ जिले में इससे अलग 0.13 वर्ग किमी में हरियाली इन दो सालों में घट गयी है. यहां 1811 वर्ग किमी के भौगोलिक क्षेत्र में कुल 287 वर्ग किमी में ही वन क्षेत्र हैं.