दुमका: वैसे तो पिछले डेढ़ साल से कोरोना की वजह से समाज के सभी क्षेत्रों में काफी नुकसान झेलना पड़ा है. जान माल की काफी क्षति हुई. लोगों के रोजी-रोजगार और शिक्षा पर काफी दुष्प्रभाव पड़ा है, लेकिन इस कोरोना संक्रमण के दौर में स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की दिशा में काफी कार्य हुए. दुमका में कोरोना के नेगेटिव इफेक्ट्स की गिनती करने में तो काफी समय लग जाएगा पर इसका पॉजिटिव इफेक्ट यह है कि इस दौर में स्वास्थ्य व्यवस्था के बेहतरी के लिए कई काम हुए.
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मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सभी बेड ऑक्सीजन युक्त
दुमका में कोरोना काल के पहले तक मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों के लिए उपलब्ध ऑक्सीजन सिलेंडर की संख्या सीमित थी. सभी तरह की बीमारियों का इलाज इसी पर निर्भर था लेकिन जब कोरोना के मरीज अस्पताल में आने शुरु हुए, तब ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता महसूस की जाने लगी. व्यवस्थाओं में इसी अनुरूप वृद्धि की गई. आज स्थिति यह है कि दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सभी 300 बेड ऑक्सीजन सिलेंडर युक्त हैं. इतना ही नहीं इस दौरान जिले के सरैयाहाट प्रखंड के हंसडीहा में भी एक अस्पताल जिसका निर्माण कार्य पहले से चल रहा था, उसे तैयार किया गया और वहां भी 200 बेड ऑक्सीजन सपोर्टेड हैं.
जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डॉ. अनंत कुमार ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट की स्थापना दुमका में ऑक्सीजन की कोई कमी ना हो इसके लिए ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट बन कर तैयार हो चुका है. इस प्लांट से बहुत जल्द लोगों को सुविधा मिलने लगेगी.
कई नये मशीन और उपकरण किए गए इंस्टॉल दुमका में भले ही मेडिकल कॉलेज अस्पताल पिछले 3 वर्षों से चल रहा है, लेकिन यहां जरूरी मशीन और उपकरणों का अभाव था. अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन की बात दूर लोगों को डिजिटल एक्सरे के लिए प्राइवेट क्लिनिक में जाना पड़ता था लेकिन कोरोना काल में धीरे धीरे यहां सिटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, डिजिटल एक्सरे सभी की व्यवस्था हो चुकी है. सरकारी स्तर पर इस तरह की व्यवस्था में लोगों को काफी फायदा होता हो रहा है. इसके साथ ही दवाओं की उपलब्धता भी काफी बढ़ी है.
ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था भी दुरुस्त
10 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. इन दस केंद्रों पर व्यवस्था की काफी कमी रहती थी. इस वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में मरीज की थोड़ी भी परेशानी बढ़ी की उन्हें जिला मुख्यालय आना पड़ता था, लेकिन हाल के दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर हुई है. दवाओं का भरपूर स्टॉक है. इसके साथ ही ग्रामीण स्तर पर ऑक्सीजन सिलेंडर न के बराबर रहता था. अब यह सभी जगह उपलब्ध है. जिससे मरीज राहत महसूस कर रहे हैं.
मानव संसाधन में बढ़ोतरी
कोरोना काल में मानव संसाधनों में भी काफी वृद्धि हुई है. खासतौर पर जो पैरामेडिकल स्टाफ है, उनकी संख्या बढ़ी है. लैब टेक्नीशियन नये मिले हैं. ऐसे में इस काल में अस्पताल के कर्मियों की संख्या बढ़ी. इसका फायदा कोरोना के साथ-साथ अन्य बीमारियों के इलाज में भी हो रहा है.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
पिछले कुछ महीनों में दुमका की स्वास्थ्य व्यवस्था में जो सुधार हुए इसे लेकर सिविल सर्जन डॉ. अनंत कुमार झा ने बताया कि ऑक्सीजन की उपलब्धता के दृष्टिकोण से काफी अच्छा काम हुआ है. वहीं कई महत्वपूर्ण मशीनें और उपकरणों को इंस्टॉल किया गया है. इसके साथ ही दवाओं की उपलब्धता बढ़ी है. सबसे बड़ी बात यह है कि जो स्वास्थ्यकर्मी हैं, उनकी कार्यशैली भी अब ज्यादा बेहतर हुई है.
आपदा को बनाया अवसर
कोरोना महामारी में आपदा वाली स्थिति नजर आई. दुमका में स्वास्थय विभाग में इस आपदा को अवसर के रूप में तब्दील किया गया, जो कि सिर्फ कोरोना ही नहीं अन्य सभी बीमारियों से उपचार में कारगर साबित होगा. आज जिन व्यवस्थाओं में सुधार हुआ है, इसका इंतजार दुमका की जनता वर्षों से कर रही थी. उम्मीद की जानी चाहिए थी यह सुधार निरंतर जारी रहेगा.