दुमका:शहरी इलाकों में लड़कियों के शरीर के फिटनेस और आत्मरक्षा के तौर तरीके सिखाने के लिए जिम और अन्य कई व्यवस्था है, पर ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियों को यह उपलब्ध नहीं हो पाता. दुमका के आदिवासी बहुल गांव बनकाठी में सरकारी विद्यालय के प्रधानाध्यापक खुद कराटे की ट्रेनिंग दे रहे हैं, ताकि लड़कियां अपनी सुरक्षा खुद कर सकें.
छेड़ा तो अब खैर नहीं! सुदूरवर्ती आदिवासी बहुल इलाकों की लड़कियां सीख रही आत्मरक्षा के गुर
दुमका के सुदूरवर्ती आदिवासी बहुल इलाकों में आजकल लड़कियां आत्मरक्षा के गुर सीख रही हैं. आत्मविश्वास से लबरेज ये लड़कियां कहती हैं कि अब हमें कोई राह चलते परेशान नहीं कर सकता है. अपने टीचर से कराटे की ट्रेनिंग पाकर लड़कियां कापी उत्साहित हैं.
लगभग 100 लड़कियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण:दुमका जिले के सदर प्रखंड के आदिवासी बहुल गांव बनकाठी की लड़कियां इन दिनों काफी खुश हैं क्योंकि इन्हें शरीर को फिट रखने के साथ आत्मरक्षा के तौर तरीके सिखाए जा रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इन छात्राओं के ट्रेनर इनके ही सरकारी विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्याम किशोर सिंह गांधी हैं. श्याम किशोर सिंह खुद कराटे के ब्राउन बेल्ट धारक हैं. स्कूल में कक्षा शुरू होने के आधा घंटा पहले ये इन छात्राओं को पहले बॉडी फिटनेस के लिए एक्सरसाइज करवाते हैं फिर कराटे की ट्रेनिंग देते हैं. लड़कियां काफी उत्साह पूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं.
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क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक:बनकठी गांव के सरकारी विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्याम किशोर सिंह गांधी अपनी छात्राओं को कराटे की ट्रेनिंग दे रहे हैं. इनका कहना है कि आज के जमाने में लड़कियों को मजबूत बनाना जरूरी है. वह खुद अपनी सुरक्षा कर सके इसके लिए हम उन्हें तैयार कर रहे हैं. ये काफी मन लगाकर इस प्रशिक्षण को प्राप्त कर रही हैं. स्थिति तो ऐसी है कि हम थक जाते हैं पर यह लड़कियां नहीं थकती और लगन से इसे सीख रही हैं.
क्या कहती हैं छात्राएं:शहर से दूर रहने वाली यह लड़कियां इस प्रशिक्षण को प्राप्त कर काफी खुश हैं. उनका कहना है कि एक तरफ एक्सरसाइज से हमारा शरीर मजबूत हो रहा है, वहीं कराटे सीख हम आत्मरक्षा कर सकते हैं. लड़कियों ने हंसते हुए कहा कि अब अगर कोई राह चलते हमें परेशान करेगा तो उसके दांत निकाल देंगे.