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4 साल से धूल फांक रही 50 लाख की मशीन, सरकारी राशि का ये कैसा इस्तेमाल? - दुमका में 50 लाख की हार्वेस्टिंग मशीन बेकार

दुमका में माप-तौल विभाग के कार्यालय परिसर में लगभग 4 वर्षों से 50 लाख की लागत से खरीदा गया एक उपकरण बेकार पड़ा है. खुले में यह मौसम की मार झेलता हुआ जर्जर हो रहा है और इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं.

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बेकार पड़े लाखों के उपकरण

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Published : Sep 12, 2020, 6:09 AM IST

दुमका: जिले के सहायक नियंत्रक माप-तौल विभाग के कार्यालय परिसर में लगभग 4 वर्षों से 50 लाख की लागत से खरीदा गया एक उपकरण रखा हुआ है. इस उपकरण का इस्तेमाल ट्रकों के वजन को मापने वाले तौल सेतु (धर्म कांटा) की जांच के लिए होना था. यह मशीन एक ट्रक में फिट है और यह ट्रक वर्षों से इस परिसर में खड़ा है. आज तक यह टस से मस नहीं हुआ. खुले में यह मौसम की मार झेलता हुआ जर्जर हो रहा है. यहां के कर्मी नुनु भगत बताते हैं कि इसका इस्तेमाल करने वाला टेक्नीशियन ही नहीं है. विभाग को टेक्नीशियन के लिए कहा गया है लेकिन आज तक कोई नहीं आया. इस वजह से इस उपकरण का इस्तेमाल भी नहीं हुआ.

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बीएयू की जोनल रिसर्च सेंटर में रखा है लाखों का हार्वेस्टर मशीनबिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने दुमका में एक जोनल रिसर्च सेंटर बनाया है. यहां लगभग 40 लाख की लागत से एक ऑटोमेटिक हार्वेस्टर थ्रेशर मशीन 3 साल पहले खरीदा गया, लेकिन इसका भी आज तक कोई इस्तेमाल नहीं हुआ. ऑफिस से जुड़े लोग बताते हैं कि इसे चलाने वाला कोई नहीं है, जबकि यह काफी उपयोगी मशीन है. इससे किसानों को काफी फायदा होता.
बेकार पड़े मशीन
क्या कहते हैं किसानइस संबंध में दुमका के प्रगतिशील किसान जयप्रकाश मंडल जिन्हें रघुवर सरकार में इजराइल भेजा गया था उनसे बातचीत की. उन्होंने बताया कि यह ऑटोमैटिक हार्वेस्टर मशीन किसानों के लिए काफी उपयोगी है. अगर सरकार इसे यहां के किसानों को उपयोग में लाने के लिए दे तो इससे कृषि कार्य आसान हो जाएगा. वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि इसका उचित इस्तेमाल किया जाए.
धूल फांकती मशीन

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क्या कहती हैं उपायुक्त
इस पूरे मामले में उपायुक्त राजेश्वरी बी ने माना कि इन उपकरणों का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. उनका कहना है कि टेक्नीशियन के अभाव में ऐसी समस्या आई है. वह बताती हैं कि विभाग की ओर से उन्हें जानकारी दी गई है कि जल्द टेक्नीशियन उपलब्ध हो जाएंगे तो इन उपकरणों का इस्तेमाल भी होगा.

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