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उपभोक्ताओं को कैसे मिले सही माप तौल का सामान जब विभाग ही है बदहाल

सही माप तौल का सामान उपभोक्ताओं का अधिकार है. इसे सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी माप तौल विभाग (विधिक माप विज्ञान विभाग) की है. लेकिन क्या आपको पता है कि माप तौल विभाग अपनी जिम्मेदारी सही से निभा रहा है और अपने सामान के सही माप का भरोसा रख सकते हैं?

माप तौल विभाग
माप तौल विभाग

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Published : Sep 28, 2021, 4:22 PM IST

दुमकाः उपभोक्ता पेट्रोल पंप पर पेट्रोल-डीजल ले रहा हो या फिर मार्केट में सब्जियां, खाद्यान्न या फिर अन्य कोई सामान. उपभोक्ता चाहता है कि उसे सही माप तौल का सामान मिले. यह उसका अधिकार भी है. उपभोक्ताओं को सही माप वजन का सामान मिले इसके लिए माप तौल विभाग है. यहां से दुकानदारों को लाइसेंस दिया जाता है और माप पैमाने की जांच भी की जाती है, वर्तमान समय में सरकार ने इस विभाग का नाम विधिक माप विज्ञान विभाग कर दिया है.

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क्या चाहते हैं उपभोक्ता
अमीर हो या गरीब सभी उपभोक्ता यह चाहते हैं कि दुकानदार ने जो सामान दिया है, वह सही वजन का हो. माप तौल विभाग दुकानदार के मापक यंत्रों की जांच कर यह सुनिश्चित करे ताकि उपभोक्ता के साथ धोखे की गुंजाइश न रहे.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

उदासीनता का शिकार विभाग

दुमका में विधिक माप विज्ञान का कार्यालय हवाई अड्डा रोड में है. यह विभाग अधिकारियों और कर्मियों की कमी से जूझ रहा है. यहां अधिकारियों और अन्य कर्मियों के कुल सृजित पद 29 हैं जबकि पदस्थापित है सिर्फ पांच. सहायक नियंत्रक मीर कासिम के जिम्मे संथाल परगना के सभी जिलों के अतिरिक्त बोकारो जिला का भी प्रभार है. इस विभाग के के लिए महत्वपूर्ण इंस्पेक्टर पद पर अतिरिक्त प्रभार में उपेंद्र कुमार कार्यरत हैं. उनकी पोस्टिंग देवघर जिले में है. वह देवघर के साथ दुमका और जामताड़ा जिले का अतिरिक्त प्रभार देख रहे हैं. असिस्टेंट कंट्रोलर कभी कभार दुमका आते हैं जबकि इंस्पेक्टर सप्ताह में दो दिन ऑफिस में बैठते हैं . मोटे तौर पर कहे तो विभाग जैसे तैसे चल रहा है.

पदस्थापित कर्मियों की स्थिति

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जांच उपकरण और प्रयोगशाला बेकार
इस विभाग में मानव संसाधन की कमी तो है ही इसके साथ ही जांच उपकरण भी बेकार हो रहे हैं. विभाग ने पांच साल पहले करीब 70 लाख की चलंत मशीन खरीदी थी. इस मशीन से माल लोड ट्रकों और धर्मकांटा का वजन करना था. आज तक इसका इस्तेमाल ही नहीं हो सका है और अब वह जर्जर भी हो चुका है. इस कार्यालय के ठीक सामने तीन साल पहले 40 लाख रुपए की लागत से एक प्रयोगशाला बनाया गया, जिसमें आज भी ताला लटका हुआ है. उपेक्षा का आलम यह है कि प्रयोगशाला का निर्माण तो हो गया पर आज तक बिजली कनेक्शन तक नहीं लगा.

करीब 70 लाख रुपए की मशीन बेकार


क्या कहते हैं कारोबारी
माप तौल विभाग में अधिकारियों और कर्मियों की कमी के संबंध में ईटीवी भारत की टीम ने स्थानीय दुकानदारों और चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधि से बात की. दुकानदारों ने बताया कि विभाग में सिर्फ दो दिन सोमवार और मंगलवार को निरीक्षक बैठते हैं. इन दोनों दिन किसी कारणवश ऑफिस बंद रहा और लाइसेंस नवीनीकरण नहीं हो पाया तो सीधे जुर्माना लगता है और केस तक हो जाता है. अगर प्रतिदिन अधिकारी बैठें तो आसानी से काम होगा. उपराजधानी चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रवक्ता अंजनी शरण करते हैं कि व्यवसायी सही वजन और माप का सामान दे रहे हैं, यह दिखना भी चाहिए. इसके लिए विभाग को चाहिए कि समय-समय पर प्रतिष्ठानों की जांच करे, जिससे ग्राहकों को भी संतुष्टि हो . जहां तक इस कार्यालय के उपकरण और प्रयोगशाला के इस्तेमाल नहीं होने की बात है यह सीधे तौर पर लापरवाही कही जा सकती है.

विभाग के ज्यादातर पद रिक्त

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क्या कहते हैं झारखंड सरकार के खाद्य आपूर्ति विभाग के मंत्री
माप तौल विभाग खाद्य आपूर्ति विभाग के अंतर्गत आता है. इस मामले में जब खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव से बात की गई तो उन्होंने माना कि कमियां काफी हैं पर उसमें सुधार किया जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि अधिकारियों और कर्मचारियों की बहाली शीघ्र होगी.

अब मामला खाद्य आपूर्ति मंत्री के संज्ञान में है तो यह उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही सब कुछ दुरुस्त होगा और उपभोक्ताओं को यह संतुष्टि होगी कि उन्हें सही माप तौल का सामान मिल रहा है

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