धनबाद: जिले के पंचेत इलाके में सांपों का चिड़ियाघर चलाया जाता है. वह भी गैर कानूनी तरीके से क्योंकि नियम के अनुसार किसी भी जंगली जानवर या सांप को नहीं रखा जा सकता, लेकिन धनबाद डीएफओ को इसकी जानकारी देने के बावजूद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.
इस बात की जानकारी डीएफओ विमल लकड़ा को 3 महीने पहले दिया गया था. तब उन्होंने आश्वासन भी दिया था कि वह इसकी जांच कर कार्रवाई करेंगे, लेकिन 3 महीना बीत जाने के बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इस बात से अंदाजा लगाय जा सकता है कि अधिकारी अपने काम को लेकर कितने गंभीर हैं. वहीं जब इस मामले पर डीएफओ से जवाब मांगा गया तो टाल-मटोल करते हुए जवाब देने से बचते नजर आए.
बता दें कि इस चिड़ियाघर में अनेकों तरह के सांप रखे गए हैं, जिसमें कुछ जहरीले हैं, कुछ जहरीले नहीं है और वहां पर बकायदा टिकट लेकर इन सांपों को दिखाया जाता है. चिड़ियाघर चलाने वाले मुबारक का कहना है कि वह सांपों का रेस्क्यू करते हैं. किसी के घर में या ऑफिस में सांप घुस जाने पर उन्हें बुलाया जाता है. वह सांपों को पकड़कर कुछ दिन चिड़ियाघर में रखते हैं फिर जंगल में छोड़ देते हैं.
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पिछले दिनों धनबाद वन विभाग ने 53 साल के एक हथिनी को जब्त किया, जबकि इस हथिनी को महावत अपनी रोजी-रोटी में इस्तेमाल करता था. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश से बंगाल एक हथिनी को ले जाने के क्रम में धनबाद वन विभाग ने कार्रवाई करते हुए उस हथिनी को जब्त कर लिया और महावत को जेल भेज दिया. जानकारी के अनुसार, महावत ने हाथिनी को 1967 में 8 हजार में सोनपुर मेले से खरीदा था, यह उसका पुश्तैनी धंधा था जो वर्षों से चला आ रहा था. ऐसे में सवाल ये है कि अगर कानून का हवाला देकर वन विभाग ने महावत क जेल भेज दिया तो फिर सांपों का चिड़ियाघर कैसे चल रहा है और उस पर क्यों नहीं करवाई हुई. यह अपने आप में गंभीर सवाल है.