धनबाद जिले में छह विधानसभा सीटें हैं. जिनमें से 5 सीटों पर बीजेपी और उसके सहयोगी का कब्जा है. जबकि एक विधानसभा सीट मासस के खाते में है. झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से धनबाद सीट बेहद खास मानी जाती है. इस विधानसभा सीट पर शुरुआत से ही कांग्रेस और बीजेपी के बीच बादशाहत के लिए कड़ी टक्कर होती रही है.
कोयला के लिए मशहूर है धनबाद
यह इलाका देश की कोयला राजधानी के नाम से मशहूर है. यहां की कोयला खदानें झारखंड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती हैं. यहां का चारक क्षेत्र अपने गर्म पानी के झरनों के लिए दुनियाभर में मशहूर है. धनबाद विधानसभा क्षेत्र में लगभर हर समुदाय के लोग रहते हैं. यहां पड़ोसी राज्यों से आकर रहनेवाले लोगों की संख्या भी अच्छी-खासी है.वतर्मान में धनबाद विधानसभा सीट से बीजेपी के राज सिन्हा विधायक हैं.
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कांग्रेस-बीजेपी मे होती रही है टक्कर
1995 से अब तक ज्यादातर इस सीट पर बीजेपी का ही कब्जा रहा है. सिर्फ 2009 में वे कांग्रेस के मन्नान मलिक से चुनाव हार गए थे. मन्नान मलिक को पार्टी ने इसका इनाम राज्य की हेमंत सोरेन सराकर में मंत्री बनाकर दिया. जबकि 2014 के चुनाव में मन्नान मलिक राज सिन्हा से 50 हजार से अधिक मतों के अंतर से हार गए. इस सीट पर धनबाद के वर्तमान सांसद पीएन सिंह 2000 और 2005 में विधायक रह चुके हैं. बताया जाता है कि पीएन सिंह के संरक्षण में ही राज सिन्हा ने राजनीति की शुरूआत की थी.
राज सिन्हा ने दी थी मंत्री को मात
2014 के विधानसभा चुनाव में राज सिन्हा को कुल 131842 मत मिले वहीं मन्नान मलिक को कुल 78999 मत मिले थे. इस सीट से चुनाव में कुल 12 उम्मीदवार मैदान में खड़े थे. जिनमें से राज सिन्हा और मन्नान मलिक को छोड़कर सभी 10 उम्मीदवारों का जमानत तक जब्त हो गई थी. इस सीट से जेएमएम, जेवीएम, बीएसपी समेत कई बड़ी पार्टियों ने उम्मीदवार दिए थे फिर भी उन्हें यहां संतोषजनक मत नहीं मिल पाया.
उम्र के 50 बसंत देख चुके हैं दोनों नेता
अगर मन्नान मल्लकि और राज सिन्हा की उम्र की बात करें तो मन्नान जहां 70 साल की उम्र पार चुके हैं वहीं राज सिन्हा ने अभी तक 60 साल की उम्र भी पार नहीं की है.