धनबाद: कोयलांचल की धरती सिर्फ काले हीरे के लिए ही नहीं जानी जाती है. बल्कि यहां के बच्चों में एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं भी छिपी है. समय-समय पर ये प्रतिभाएं उभरकर सामने आती हैं और पूरे देश में अपना नाम रौशन करती है. डीएवी कोयला नगर की 8वीं की छात्रा सुर्बोनिता कुमारी ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. सुर्बोनिता ने इसरो की तरफ से आयोजित साइबर स्पेस कंपटीशन में पूरे देश में पहला स्थान हासिल कर देशभर में झारखंड का नाम रौशन किया है.
जीएसएलवी मैक 3 का मॉडल प्रस्तुत किया
भारत सरकार की अंतरिक्ष विभाग भारतीय अनुसंधान संगठन बेंगलुरु की तरफ से राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित ऑनलाइन साइबर स्पेस कंपटीशन में धनबाद के सरायढेला सुगियाडीह की रहनेवाली डीएवी कोयला नगर की 8वीं की छात्रा सुर्बोनिता ने पूरे देश मे पहला स्थान प्राप्त किया है. बेहतर मॉडल मेकिंग के लिए उसे पहला स्थान हासिल हुआ है. उसने जीएसएलवी मैक 3 का मॉडल प्रस्तुत किया है. गूगल पर सर्च कर उसने जीएसएलवी मॉडल 2 पर रिसर्च किया, जिसके बाद 6 दिनों में उसने यह मॉडल तैयार किया है. इन्होंने बहुत ही कम वजन का स्पेसक्राफ्ट का मॉडल तैयार किया है. कम सिग्नल में यह अच्छे तरीके से काम करेगी.
स्पेसक्राफ्ट डिजाइनर बनना चाहती है सुर्बोनिता
सुर्बोनिता का दावा है कि आतंकी अगर देश में घुसे हो और उनके पास तकनीकी हथियार हो तो यह स्पेसक्राफ्ट सीधे सरकार को उसकी सूचना पहुंचा सकते हैं. यही नहीं देश के दुश्मनों की कम्युनिकेशन फ्रीक्वेंसी तोड़कर कुछ समय के लिए उनके संदेशों के हो रहे आदान-प्रदान को रोका जा सकता है. उनके संचार तकनीकी को तोड़ने की क्षमता भी इस मॉडल में मौजूद हैं. सुर्बोनिता ने इस मॉडल को विकसित करने की लागत सात से आठ करोड़ बताई है. बड़ी होकर सुर्बोनिता स्पेसक्राफ्ट डिजाइनर बनना चाहती है.
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स्कूल और माता-पिता काफी खुश
डीएवी स्कूल के प्रचार्य आरके सिंह अपनी छात्रा की इस सफलता पर बेहद गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. उनका कहना है कि छात्रा की यह सफलता स्कूल के अन्य बच्चों के लिए आगे बढ़ने के लिए मिल का पत्थर साबित हो सकती है. प्राचार्य ने छात्रा की माता-पिता को बधाई दी है. स्कूल खुलने के बाद उन्हें सम्मानित करने की बात भी प्रचार्य ने कही है. वहीं सुर्बोनिता के माता-पिता भी अपनी बेटी की इस सफलता पर फुले नहीं समा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हृदय में जो खुशी है, उसे हम शब्दों से बयां नहीं कर सकते हैं. भारत सरकार की संगठन इसरो समय-समय पर इस तरह के प्रतियोगिता के माध्यम से बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभाओं की खोज में जुटी है. ताकि भविष्य में यही बच्चे देश को एक बेहतर राष्ट्र बनाने में भूमिका निभा सकें.