धनबादः बेटियां आज बेटों से कम नहीं है. हर क्षेत्र में बेटियां बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है. पढ़ाई हो या फिर खेल का मैदान, कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां बेटियों ने अपना परचम न लहराया हो. यह कहानी भी एक ऐसी ही बेटियों की है. जिसने नेशनल से लेकर इंटरनेशनल स्तर पर अपनी पहचान बनाई है, लेकिन अब वह मजबूर हो चुकी है. उनकी यह मजबूरी है लॉकडाउन, उनके पिता इस दुनिया में नहीं है. मां सब्जी बेचती है, नतीजा बेटियों को घर की माली हालात में सुधार लाने के लिए सब्जियां उपजानी पड़ रही है.
खेत में सब्जी उपजा रही है तीनों लड़कियां आपस में बहन है, लेकिन ये तीनों मजबूरी में खेतों में काम रही है, ताकि इनके घर का भरण पोषण हो सके. दरअसल, गोमो के लक्ष्मीपुर गांव में एक ही घर में तीन बहने फुटबाल खिलाड़ी है. आशा कुमारी जो कि इंडियन टीम से भूटान जाकर फुटबाल खेल चुकी है. इसके साथ ही पूरे भारतवर्ष में कई फुटबाल मैच झारखंड की तरफ से खेल चुकी है. आशा की दो बहनें है ये दोनों बहनें भी महिला फुटबाल इंटर स्टेट नेशनल गेम खेल चुकी हैं. आशा की घर की माली हालत ऐसी है कि वो दोनों बहनों के साथ खेती कर अपने परिवार का गुजारा करने को मजबूर है. आशा की मां गोमो के सब्जी बाजार में रोजाना सब्जी बेचती है. आशा और उसकी दोनों बहनें खेतों में काम करती है. सब्जियां उगाती है और घर के कामों में अपनी बीमार मां की हाथ बंटाती है. आशा बहुत ही दुखी मन से कहती है कि पूरा मोहल्ला उन्हें ताना मारते है.