धनबाद: अमूमन लोग कचरे को देखकर परेशान होने लगते हैं,लेकिन इसी कचरे ने सैकड़ों लोगों की जिदंगी बदल दी. ताज्जुब की बात नहीं बल्कि यह सच्चाई है. झरिया के होरलाडीह में सैंकड़ों परिवार ने कचरे के ढेर पर हरियाली की चादर बिछाने का नायाब काम किया है. अब इन सैकड़ों परिवरों के जीवन यापन का मुख्य साधन बन चुका है.
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इसके बाद लोगों ने उसमें से ईंट पत्थर जैसे बेकार आविष्ट पदार्थों को छांटकर अलग किया. फिर मेहनत कर जगह को समतल किया और सिंचाई शुरू कर दी. आखिरकार वह समय भी आया जब इनकी मेहनत रंग लाई और खेतों में की गई सब्जियों की पैदावर बेहतर हुई. आज ये सैकड़ों परिवार इस खेती पर जीविकोपार्जन करते हैं. विभिन्न मंडियों में सब्जियों की थोक बिक्री की जाती है. इससे इन्हें एक अच्छी खासी इनकम होती है.
पिछले कुछ सालों से सिंचाई को लेकर परेशानी बढ़ गई है. बीसीसीएल की भूतगड़िया माइंस से निकलने वाले पानी का उपयोग ये लोग सिंचाई के रूप में करते थे, लेकिन माइंस बंद होने के कारण अंदर से पानी निकलना बंद हो गया है. इसके कारण सिंचाई को लेकर बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. बारिश में तो ये खेती कर लेते हैं, लेकिन गर्मी के दिनों में सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने के कारण पूरी खेती नहीं कर पाते. उस वक्त आंशिक खेती कर जीवन बसर करना पड़ता है. लोगों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें सिंचाई के लिए उचित व्यवस्था करें. लोगों का कहना है कि बोरिंग या खदान का पानी इन्हें साल भर मिले, तो सिंचाई की व्यवस्था दुरुस्त हो जायेगी.
इसके साथ ही लोगों ने कहा कि सरकार की ओर से यूरिया और फर्टिलाइजर पर सब्सिडी दी गई है, लेकिन बाजारों में ऊंची कीमतों पर उन्हें खरीदना पड़ता है. यहां बसे किसानों ने कहा कि उनके साथ ही सैकड़ों मजदूर भी खेतों में काम करते हैं. सरकार यदि तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराए, जो खेती के लिए जरुरी है तो कई बेरोजगारों का रोजगार यहां चलता रहेगा.