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धनबाद: कोरोना की दूसरी लहर में मजदूरों का हाल बेहाल, ठेकेदार ने बगैर मजदूरी दिए ही घर भेजा - धनबाद में बंधुआ मजदूरी का मामला

वैश्विक महामारी कोरोना से पूरा विश्व परेशान है. दूसरी लहर ने भारत को भी झकझोर कर रख दिया है.ऐसे में एक बार फिर मजदूरों को ही परेशानी उठानी पड़ रही है. धनबाद में महीनों काम कराने के बाद कोरोना का बहाना बनाकर मजदूरों को बगैर मजदूरी दिए ही बस में बैठाकर बिहार के नवादा भेज दिया गया.

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Published : May 3, 2021, 11:08 AM IST

Updated : May 3, 2021, 12:30 PM IST

धनबाद: बढ़ते कोरोना महामारी और मौत के आंकड़ों की भयावहता के बीच ईट भट्ठा मजदूरों पर एक बार फिर से आफत आ गई है. पलायन की एक दर्दनाक और इंसानियत को शर्मसार करने वाली तस्वीरें भी आने लगी हैं. इसी बीच धनबाद के बरवाअड्डा इलाके के मिसिरडीह चपौती गांव के बाहर एक ईंट भट्ठे में पिछले छह महीने तक बगैर एक पैसा मजदूरी दिए लगभग 24 मजदूरों को बंधुआ मजदूर की तरह काम कराया गया और अब काम से निकाल दिया और नवादा जाने वाली बस में भेड़ बकरियों की तरह ठूंस कर भेज दिया गया.

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6 महीने से मजदूर कर रहे थे काम
बिहार से नवादा जाने वाली बुंदेला बस में मजदूरों को उनके परिवार सहित भेड़ बकरियों की तरह बैठा दिया. ये सभी बरवाअड्डा थाना क्षेत्र के मिसिरडीह चपौती में मणि मंडल नाम के ईंट भठ्ठे में पिछले छह माह से बंधुआ मजदूर की तरह काम कर रहे थे. इन्हें सिर्फ पेट भरने के लिए भोजन दिया जाता था और सपरिवार इनकी दिनचर्या ईंट पकाना था. नवादा के बच्चन बीघा गांव के भुनेश्वर चौहान नाम के ठेकेदार व रूपी दलाल ने इन्हें यहां लाया था. अब कोरोना महामारी आफत बनकर कोयलांचल में कहर बरपा रही है और लॉकडाउन का खतरा मंडराने लगा है.

मजदूरी के लिए मिन्नतें करते रहे
बिहार के गरीब वर्ग के लोगों को बहला फुसलाकर देश भर के ईंट भट्ठों में तस्करी की जाती है. अकेले झारखंड में साल 2015 से 2019 के बीच मानव तस्करी के 736 केस दर्ज किए गए थे लेकिन यहां मामला पूरी तरह से बंधुआ मजदूरी का तो नहीं लेकिन उससे मिलता जुलता जरूर है. ऐसे में धनबाद जिला प्रशासन की ओर से पूरे मामले में संज्ञान लेने और उचित कानूनी कार्रवाई करने की आवश्यकता है. इन मजदूरों के पास घर जाने के लिए भी पैसे नहीं दिए गए थे. ठेकेदार की ओर से इन्हें बस में खुद ही बिठाया गया. बस कंडक्टर ने बताया कि उन्हें भाड़ा नहीं मिला है.


बरवाअड्डा थाना क्षेत्र में कई ऐसे चिमनी ईट भट्ठे हैं, जहां प्रदूषण के सभी मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए सालों से कार्य होता है. यहां चोरी के कोयले से ईंट भी पकाई जाती है. हद तो तब हो गई जब 6 महीना काम कराने के बाद 22 मजदूरों को मजदूरी दिए बगैर ही उन्हें घर वापस भेज दिया. अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन किस प्रकार की कार्रवाई करते हैं, ताकि मजदूरों को उनका पैसा मिले और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिल सके.

Last Updated : May 3, 2021, 12:30 PM IST

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