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आस्था या अंधविश्वास? कह नहीं सकते, लेकिन यहां हो रहा लॉकडाउन का उपहास - धनबाद में कोरोना से निजात को लेकर अंधी आस्था का मामला

पूरे भारतवर्ष में लॉकडाउन है. कोरोनावायरस के कहर से पूरा विश्व त्राहिमाम है. बड़े-बड़े शक्तिशाली और स्वास्थ्य के मामलों में नंबर वन होने के बावजूद भी कई ऐसे देशों में इस वायरस ने कोहराम मचा रखा है, लेकिन वहीं, कोयलांचल में कोरोना वायरस से झाड़-फूंक से भी मुक्ति दिलाने की बात हो रही है देखिए क्या है पूरी कहानी.

Case of blind faith in Dhanbad regarding getting rid of Corona
धनबाद में अंधविश्वास

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Published : Apr 4, 2020, 2:02 PM IST

Updated : Apr 5, 2020, 11:06 AM IST

धनबाद: कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रसार सामुदायिक स्तर पर ना हो सके इसे लेकर सरकार ने देश भर में लॉकडाउन कर रखा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम नेता और जिला पुलिस प्रशासन की ओर से लगातार लोगों को सोशल डिस्टेंस का पालन करने के लिए आग्रह किया जा रहा है. जिले में धारा 144 भी लागू है, लेकिन जिले का एक ऐसा क्षेत्र भी है जहां के लोग कम पढ़े लिखे हैं और वहां आस्था के नाम पर अंधविश्वास का बोलबाला अधिक देखने को मिल रहा है.

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आपको बता दें कि झरिया पुनर्वास विकास प्राधिकार (जेरेडा) के तहत अग्नि प्रभावित क्षेत्र झरिया से लोगों को लाकर बेलगड़िया टाउनशिप में बसाया गया है. यहां के एक मुहल्ले में महिलाओं का एक झुंड गाजे-बाजे के साथ एक मंदिर में देखने को मिला. वहां, एक महिला अपने शरीर को इस कदर हिला डुला कर नृत्य कर रही थी मानो उसके ऊपर किसी देवी का वास हो गया हो और कुछ महिलाएं हाथ जोड़े बैठी हुई थी. दर्जनों की भीड़ उसके आस पास इकठ्ठी थी.

लोगों ने बताया कि मां शीतला इस औरत पर सवार हो गई है और कोरोनावायरस से मुक्ति के बारे में बता रही हैं. लोगों का कहना है कि इस महिला ने बतलाया है कि अगर नीम के पेड़ में पानी दिया जाए तो कोरोनावायरस से मुक्ति मिल सकती है. अब इसे आस्था कहे या अंधविश्वास लेकिन यह पूरे देश में लागू लॉकडाउन का उपहास जरूर है.

एक महिला ने बताया कि उक्त महिला के शरीर पर शीतला माता का वास हो गया है अचानक माता ने उसके ऊपर आकर अपना नाम बताया उसके बाद महिला लगातार झूम रही है और 9 दिनों तक नीम के पेड़ में जल देने की मांग कर रही है महिला का कहना है कि इसी से कोरोना वायरस भाग जाएगा.

बता दें कि उक्त इलाके में रहने वाली महिलाएं पहले झरिया के अग्नि प्रभावित इलाके में रहती थी. पुनर्वासित कर सबों को बेलगाड़िया में बसाया गया है. लेकिन उपस्वास्थ्य केंद्र होने के बावजूद चिकित्सकों की मौजूदगी वहां नही के बराबर देखने की मिलती है, जिसकी वजह से तबियत आदि खराब होने पर काफी दूर लेकर जाना पड़ता है या फिर कुछ लोग झाड़-फूंक जादूटोना के चक्कर मे पड़े रहते हैं.

वहीं, इससे सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक बन रहा है. ऐसे में उनमें जागरूकता इस बात की लाने की आवश्यकता है कि लॉकडाउन के दौरान लोग घर में रहें सोशल डिस्टेंस का पालन करें और सुरक्षित रहें.

Last Updated : Apr 5, 2020, 11:06 AM IST

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