धनबाद: झरिया विधानसभा सीट पर लंबे अरसे से सिंह मेंशन का कब्जा रहा है. सूर्यदेव सिंह इस सीट से चार बार विधायक बनने का कीर्तिमान दर्ज कर चुके हैं. जिसके बाद उनके भाई बच्चा सिंह और उसके बाद उनकी धर्मपत्नी कुंती सिंह भी यहां से विधायक बनीं. फिलहाल सूर्यदेव सिंह के बेटे संजीव सिंह बीजेपी की टिकट से यहां के विधायक हैं. जो पिछले 29 माह से अपने चचेरे भाई और कांग्रेस नेता नीरज सिंह की हत्या करने के मामले में जेल में बंद हैं.
1977 में अस्तित्व में आया झरिया
सिंह मेंशन की कमान विधायक संजीव सिंह की धर्मपत्नी रागिनी सिंह फिलहाल संभाल रखी है. बीजेपी ने रागिनी पर भरोसा जताते हुए इस विधानसभा चुनाव में उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है. साल 1957 के बाद केंदुआडीह और जोड़ापोखर सीट का आस्तित्व खत्म कर दिया गया. झरिया विधानसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आया. कोल इंडिया के अनुषंगी इकाई बीसीसीएल और टाटा की कई कोल माइंस होने के कारण बिहार और यूपी समेत अन्य राज्यों के लोग यहां बसे हैं. उनकी रोजी रोटी का मुख्य जरिया कोयला ही है.
कोयले की मंडी है झरिया
यहां बसे कई लोग स्थायी तौर पर नौकरी में हैं तो कई प्राइवेट रूप से कोयले के खनन कार्य से लेकर अन्य कार्यों से जुड़े हैं. कोयले की मंडी झरिया के कतरास मोड़ में है जहां प्रतिदिन करोड़ों रुपए के कोयले का कारोबार होता आ रहा है. इतिहास गवाह है कि कोयले के वर्चस्व को लेकर झरिया की काली धरती खून से लाल होती आ रही है. झरिया विधानसभा सीट पर लंबे समय से सिंह मेंशन का कब्जा रहा है. साल 1977 से 1990 तक सूर्यदेव सिंह यहां से चार बार विधायक रहे. उनके भाई बच्चा सिंह यहां से विधायक बनने के बाद नगर विकास मंत्री रहे चुके हैं. उनकी धर्म पत्नी कुंती सिंह भी बीजेपी से यहां के विधायक रह चुकी हैं. फिलहाल उनके बेटे झरिया विधानसभा से विधायक हैं. पिछले 29 माह से अपने चचेरे भाई नीरज सिंह हत्याकांड में जेल में बंद हैं. सिंह मेंशन की पुत्रवधू और विधायक संजीव सिंह की धर्मपत्नी रागिनी सिंह मेंशन कमान अपने हाथों में ले चुकी हैं.