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भाजपा उम्मीदवारों ने उठाया BCCL में आउटसोर्सिंग का मुद्दा, श्रमिकों के वोट या कोयला मुनाफे में सियासत! - Coal Profits

राष्ट्रीयकरण के मुकाबले आज कोल कर्मियों की संख्या आधी से भी कम हो गई है. फिलहाल यह आंकड़ा घटकर 2 लाख 80 हजार रह गया है. विभागीय श्रमिकों की जगह ठेका मजदूर को शामिल किया जा रहा है. कोल इंडिया के अन्य अनुषंगी कंपनियों को छोड़कर बीसीसीएल की बात करें, तो राष्ट्रीयकरण के बाद बीसीसीएल में मैन पॉवर 1 लाख 76 हजार के करीब था. जो अब महज 67 हजार है. बीसीसीएल में हर माह औसतन 500 कर्मी रिटायर्ड हो रहे हैं और बहाली न के बराबर है.

भाजपा उम्मीदवारों ने उठाया BCCL में आउटसोर्सिंग का मुद्दा

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Published : May 4, 2019, 4:24 PM IST


धनबाद: कोयलांचल की राजनीति में अपना रुतबा बरकरार रखने वाले नेताओं को भी कोयले से ही सही मायने में एनर्जी मिलती है. धनबाद में भूमिगत आग और पुनर्वास से हटके भी कोयले से जुड़े एक नहीं बल्कि कई मुद्दे हैं. इन मुद्दों का लोकसभा चुनाव 2019 पर असर भी लाजिमी है. देखिए इस खास रिपोर्ट में....

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एक समय था जब कोल इंडिया और बीसीसीएल सहित कई कंपनियों में 8 लाख के करीब मैन पॉवर हुआ करता था. समय बदला तकनीक बदली और प्रबंधन में परिवर्तन के साथ ही कोल कर्मियों की लगातार संख्या घटती जा रही है. राष्ट्रीयकरण के मुकाबले आज कोल कर्मियों की संख्या आधी से भी कम हो गई है. फिलहाल यह आंकड़ा घटकर 2 लाख 80 हजार रह गया है. विभागीय श्रमिकों की जगह ठेका मजदूर को शामिल किया जा रहा है.
कोल इंडिया के अन्य अनुषंगी कंपनियों को छोड़कर बीसीसीएल की बात करें, तो राष्ट्रीयकरण के बाद बीसीसीएल में मैन पॉवर 1 लाख 76 हजार के करीब था. जो अब महज 67 हजार है. बीसीसीएल में हर माह औसतन 500 कर्मी रिटायर्ड हो रहे हैं और बहाली न के बराबर है. सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी के विनिवेश का यूनियन लगातार विरोध करती आ रही है. विनिवेश के पक्ष में एनडीए और यूपीए दोनों सरकारें रही हैं. वर्तमान स्थिति यह है कि अब कोल इंडिया में सरकार का स्वामित्व 72 फीसदी ही रह गया है. मजदूर संगठन सीटू के वरिष्ठ वयोवृद्ध नेता एसके बख्शी कहते हैं कि कोल सेक्टर एक बार फिर से निजीकरण की ओर बढ़ रहा है.

हालांकि बीसीसीएल में आयी भारी मैनपावर में कमी का कोयले के उत्पादन पर कोई भी असर नहीं है. आउटसोर्सिंग के बाद बीसीसीएल की उत्पादन क्षमता में बढ़ोत्तरी हो रही है. वित्तीय वर्ष 1974-75 में 17.74 मिलियन टन,1984-85 में 21.84 मिलियन टन और 2004-05 में 22.31 मिलियन टन बीसीसीएल ने कोयले का उत्पादन किया था. 2008-09 में यह आंकड़ा 25.31 मिलियन टन था, जबकि इस वर्ष 37 मिलियन टन बीसीसीएल में उत्पादन का आंकड़ा पहुंच गया है.
बीसीसीएल में बढ़े कोयले के उत्पादन पर इसे चुनावी मंच के माध्यम से कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने धनबाद में लोगों के बीच रखा. उन्होंने कहा कि साल 2009 से 2014 के बीच सिर्फ 37 मिलियन टन कोयले का उत्पादन बढ़ा था, लेकिन 2014 से 19 के बीच लगभग 4 गुना कोयले का उत्पादन बढ़ा है. जिसके कारण झारखंड को दो गुना रोयल्टी मिलती है.

धनबाद लोकसभा के दो बार सांसद रहे भाजपा प्रत्याशी पीएन सिंह ने आउटसोर्सिंग का ठीकरा कांग्रेस के माथे पर फोड़ डाला. उन्होंने कहा कि साल 2006 में कोयले के उत्पादन को आउटसोर्सिंग के माध्यम से कांग्रेस ने शुरू किया. कांग्रेस लोगों में यह भ्रम फैला रही है कि देश मे बीजेपी अगर सत्ता में आई तो बीसीसीएल को प्राइवेट हाथों में सौप देगी.


वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी कीर्ति आजाद ने कहा कि राष्ट्रीयकरण किया गया था कि लोगों को सरकारी सुविधाएं मिले. लेकिन आउटसोर्सिंग कंपनियां मजदूरों का शोषण करती है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने कहा है कि सरकारी 24 लाख नौकरियां खाली पड़ी हैं, उन्हें हम भरेंगे. इससे आउटसोर्स कम होगा. उन्होंने कहा कोलियरियों को निजीकरण में जाने नहीं दिया जाएगा.

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