धनबादः कोरोना कि पहली और दूसरी लहर ने कई लोगों की जिंदगी तबाह बर्बाद की है, तो कइयों की जिंदगी को नई राह भी दिखाई है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब कोरोना के खौफ से लोग तनाव में थे, तब धनबाद की एक बेटी ने बच्चों की सुसाइड पर शोध (Children's suicide research) किया और 350 पन्ने की किताब लिखी.
ये भी पढ़ें-कश्मीर : लॉकडाउन में बच्ची की लिखी भावनाओं ने लिया किताब का रूप
अंशिका बच्चें के सुसाइड से खुद हो जाती थी विचलित
अंशिका के पिता पेशे से वकील हैं और मां हाउस वाइफ है. अंशिका की मां बताती है कि अंशिका को शुरू से अखबार पढ़ने में रुचि रही है. ऐसे में जब भी बच्चों की सुसाइड की खबरों को पढ़ती तो विचलित हो जाती और पूछती कि आखिर बच्चे भी सुसाइड कर सकते हैं क्या और करते है तो क्यों? वो खुद भी डिप्रेस हो जाती थी, इस बीच अंशिका ने बच्चों की सुसाइड पर लिखने की सोची और यह किताब लिख डाली.
धनबाद की अंशिका प्रसाद दसवीं कक्षा की छात्रा है, जो आए दिन अखबारों में बच्चों की सुसाइड की खबर पढ़कर दुखी होती थी. बच्चों की सुसाइड की खबरों को पढ़कर वह खुद भी डिप्रेस हो रही थी. कोरोना की पहली लहर के समय ही स्कूल बंद हो गए थे. ऐसे में घर में ही अंशिका का समय बीतता था. इस बीच अंशिका को इस विषय पर कुछ लिखने की इच्छा हुई और उसने 350 पन्नों की एक किताब लिख डाली जिसका नाम द पेंटेड पॉर्च (The Painted Porch) दिया.
अंशिका ने तनाव को लेकर पहले भी लिखी है किताब
अंशिका ने इससे पहले भी एक किताब लिखी है, लेकिन यह किताब एक बड़े पहलू को जाहिर करता है जो बड़े मुद्दे को लेकर लिखी गई है कि आखिर कैसे इस भागदौड़ के जीवन में बच्चे मानसिक तनाव के शिकार हो रहे हैं और खुदकुशी जैसा बड़ा कदम उठा बैठते हैं.