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साइबर क्राइम झारखंड के लिए बड़ी चुनौती, लोगों को भी होना होगा जागरूक

देवघर में साल 2020 के दौरान करीब चार सौ साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है. देवघर के एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा ने बताया कि यहां जिस रफ्तार से साइबर क्राइम पनप रहा है पुलिस भी उतनी ही तेजी से अपराधियों को उनके सही ठिकाने पहुंचा रही है.

SP Ashwini Kumar Sinha
SP Ashwini Kumar Sinha

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Published : Dec 20, 2020, 7:05 AM IST

Updated : Dec 20, 2020, 7:29 AM IST

देवघरः झारखंड में इन दिनों साइबर अपराधियों का गिरोह तेजी से बढ़ रहा है. जामताड़ा के बाद अब देवघर को साइबर अपराधियों ने ठिकाना बना लिया है. ईटीवी भारत के संपादक निशांत शर्मा ने देवघर के एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा से साइबर अपराध को लेकर खास बातचीत की.

देवघर के एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा से खास बातचीत

झारखंड में किस तरह के अपराध बड़ी चुनौती

देवघर के एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा ने कहा कि झारखंड में सबसे पहले तो उग्रवाद एक बड़ी समस्या है. माओवादियों के बाद पीएलएफआई, जेजेएमपी और टीपीसी जैसे स्पिलिंटर ग्रुप की आपराधिक घटनाएं घटित होती हैं. हर तरह के अपराध होते रहे हैं. लूट, डकैती, चोरी और अब इसी कड़ी में साइबर क्राइम भी यहां पर पनप गया. यह साइबर क्राइम झारखंड के लिए एक बड़ी चुनौती है. यह झारखंड पुलिस के लिए भी बड़ी चुनौती बनी हुई है.

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देवघर साइबर अपराधियों का नया ठिकाना

जामताड़ा साइबर क्राइम के नाम से कुख्यात रहा है. देवघर जिला जामताड़ा से सटा हुआ है इसलिए साइबर क्राइम का प्रभाव देवघर में भी सामने आने लगा है. धीरे-धीरे यह एक बड़ी समस्या के तौर पर सामने आया है. यहां भी साइबर क्राइम के कई मामले सामने आए हैं. जामताड़ा से साइबर क्राइम की तुलना करें तो देवघर भी कम नहीं है लेकिन हाल के दिनों में डीजीपी एमवी राव की पहल पर साइबर क्रिमिनल्स के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है, जिसे इस अपराध में कमी आई है. इसमें लिप्त लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. उनको जेल भेजा जा रहा है, मोबाइल, कैश और गाड़ियों को जब्त किया जा रहा है.

गिरफ्तार साइबर अपराधी

परिवार के कई सदस्य मिल कर करते हैं ठगी

इस अपराध में दूसरे राज्यों के लोगों के शामिल होने का कोई विशेष संकेत नहीं मिला है. एक बात जरूर सामने आई है कि लॉकडाउन के दौरान जो लोग देवघर वापस आए और यदि उनके परिवार के लोग साइबर क्राइम जुड़े थे, तो कुछ लोग परिवार के साथ मिलकर साइबर क्राइम में लिप्त हो गए हैं.

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साइबर अपराध की ट्रेनिंग

साइबर अपराधी आईटी प्रोफेशनल्स नहीं है लेकिन उनका तरीका किसी आईटी प्रोफेशनल से कम नहीं है. साइबर क्रिमिनल्स कुछ पैसा लेकर या अपनी संख्या बढ़ाने के लिए टीनएजर्स को ट्रेनिंग देते हैं. इस ट्रेनिंग की वजह से वे एक्सपर्ट बन जाते हैं.

देवघर के एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा

ठग और शिकार, दोनों की वजह एक

साइबर क्रिमिनल बनने और साइबर ठगी का शिकार होने की एक ही मुख्य वजह है- ईजी मनी. साइबर क्रिमिनल सोचते हैं कि इसे शुरू करने के लिए किसी तरह के निवेश की जरूरत नहीं, बस एक मोबाइल और सिम रखने से ठगी का धंधा शुरू कर सकते हैं. जिन लोगों को ठगा जाता है, उनको भी ईजी मनी के प्रलोभन में फंसाया जाता है. लोग कैशबैक और प्राइज जैसे लालच में फंसकर ठगी के शिकार बन जाते हैं. आम लोग सोचते हैं कि बिना मेहनत के पैसे मिल रहे हैं, तो क्या परेशानी है? यह सोच बदलने और स्थिति को समझने में देर हो जाती है और वे साइबर क्रिमिनल्स के ट्रैप में फंस जाते हैं.

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ठग शातिर हैं तो पुलिस भी स्मार्ट

साइबर अपराधियों के लिए सख्त कानून हैं लेकिन यह एक नए तरह का अपराध है और पुराने पुलिसकर्मियों को इसके बारे में कम जानकारी है. जो पुलिसकर्मी नये जेनरेशन के हैं, उन्हें इसकी जानकारी रहती है. ऐसे में मामलों की जांच सही से होती है और अपराधियों को सजा भी मिलती है. अब सबूत अच्छे से इकट्ठा किए जा रहे हैं ताकि साइबर अपराधियों आसानी से जमानत न मिले. हालांकि पुलिस को अपनी ट्रेनिंग शेड्यूल में साइबर क्राइम के बारे में थोड़ा बारीकी से बताने की जरूरत है.

पुलिस लाइन में एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा

बच्चों पर रखें निगरानी

उन्होंने कहा कि जो साइबर क्रिमिनल बन रहे हैं. वे उनके अभिभावकों और माता-पिता से अपील करते हैं कि अपने बच्चे पर ध्यान दें और और यह निगरानी रखें कि कहीं वे साइबर अपराधी तो नहीं बन रहे हैं. यह निगरानी अत्यंत आवश्यक है, अभिभावक के साथ स्कूल-कॉलेज के टीचर और प्रोफेसर भी उन पर निगरानी रखें. यदि कोई संकेत मिलता है तो उनके अभिभावक और पुलिस को भी बताएं ताकि समय रहते उनको सुधारा जा सके.

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लालच में नहीं फंसने की सलाह

अश्विनी ने कहा कि आप जितना कमाते हैं,वही पैसा आपको मिलेगा. अगर दिमाग में कोई बात है कि लॉटरी निकल जाएगी, बिना वजह मनीबैक होगा या कोई गाड़ी मिल जाएगी, इस तरह के प्रलोभन में न फंसें. बैंकिंग टेक्नोलॉजी भी काफी बदली है. आम जनता को भी बैंकिंग के सिस्टम को थोड़ी समझने की आवश्यकता है, तभी वे समझ सकेंगे कि फोन पर बैंक ऑफिसर से बात हो रही है या साइबर फ्रॉड से.

इंटरनेट के इस्तेमाल पर रखें नजर

पत्थलगड़ी मामले में अहम भूमिका निभाने वाले अश्विनी कुमार सिन्हा वीरता पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं. साइबर अपराध के अलावा नशे के कारोबार का खात्म करने और नक्सलियों का नेटवर्क ध्वस्त करने को लेकर भी इन्होंने बेहतरीन काम किया है. अश्विनी कुमार सिन्हा 2010 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं. अश्विनी ने 2010 से 2013 तक खूंटी के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के रूप में काम किया. 8 दिसंबर 2016 को अश्विनी कुमार सिन्हा ने खूंटी के पुलिस अधीक्षक के रूप में ने पदभार ग्रहण किया. इसके बाद 22 नवंबर 2018 को गुमला जिले के पुलिस अधीक्षक बनाए गए. 4 अक्टूबर 2019 को एसीबी धनबाद डिवीजन के एसपी का पदभार संभाला. 12 सितंबर 2020 को एसपी विशेष शाखा रांची के पद पर कार्यरत अश्विनी कुमार सिन्हा को देवघर का एसपी बनाया गया है.

Last Updated : Dec 20, 2020, 7:29 AM IST

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