देवघर: बुराई पर अच्छाई की जीत पर मनाया जाने वाला पर्व है होली. ऐसे में होलाष्टक का क्या है महत्व आइए जानते हैं. इसके बारे में जानकार बताते है कि सनातन धर्म में मनाए जाने वाला महान रंगों का पर्व होली है. जिसमें लोग सभी बुराई को भूल एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर हर्षोल्लास के त्योहार मनाते हैं.
होली का धार्मिक महत्व भी है. होली के दिन ही होलिका-प्रह्लाद को लेकर आग में बैठी थी, जो हिरण्यकश्यप के पुत्र थे. हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रह्लाद को भगवान विष्णु की की भक्ति से रोकते थे. जब होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठी तो भक्त प्रह्लाद का बाल भी नहीं बांक हुआ लेकिन होलिका जल गई. होलिका के जलने से आठ दिन पहले से ही भक्त प्रह्लाद को शारीरिक मानसिक जैसे यातनाएं दी जा रही थी. जो आठ दिन होलाष्टक कहलाता है. इन आठ दिनों में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे शादी, जनेऊ, मुंडन संस्कार अनुष्ठान नहीं किया जाता है. होलिका दहन के साथ नकारात्मक शक्तियां समाप्त होती हैं. जिसके बाद ही सभी मांगलिक कार्य किये जाते हैं. जिसे होलाष्टक के रूप में मनाया जाता है.