देवघर: तपोवन जिसे तपोस्थली कहा जाता है, इस पहाड़ की चोटी पर स्थित है हनुमान जी की मूर्ति जो 20 फिट ऊंची चट्टानों के बीच से दो हिस्सों में बटी हुई है. उसके बीच में स्थित है मनोकामना हनुमान जिसे हनुमान मंदिर कहते है. इस चट्टान तक पहुंचने के लिए भक्तों को दुर्गम रास्तो से बड़ी बड़ी चट्टानों के बीच से गुफाओं से होकर गुजरना पड़ता है और तब जाकर इस मनोकामना मंदिर तक पहुंचते है लेकिन इस बार कोरोना को लेकर एक्का दुक्का लोग ही पहुंच पाएं है.
क्या है मनोकामना हनुमान मंदिर की मान्यता
हनुमान मंदिर की एक पौराणिक मान्यता भी है जिसके मुताबिक रावण जब एक बार भोलेनाथ का शिवलिंग को लंका ले जाने में नाकाम रहा तो दूसरी बार इस पहाड़ पर तपस्या करने लगा और फिर देवताओं ने हनुमान जी को रावण की तपस्या भंग करने के लिए इस पहाड़ पर इन्हें भेजा और हनुमान जी ने रावण की तपस्या भंग की थी. इसके साथ ही यह भी कहा जाता था कि माता सीता ने हनुमान से कहा कि जब हर चीज में राम होने की बात करते है तो क्या इन चट्टानों में भी राम है. ऐसे में इन्होंने एक चट्टान को अपनी उंगली से चिर कर दिखा दिया था और उसके बाद से ही इस चट्टान के अंदर हनुमान की आकृति समाहित हो गयी थी. जिसे मनोकामना हनुमान मंदिर कहा जाता है. इस लिए यहां दूर दूर से लोग दर्शन पूजा के लिए आते है और इस दुर्गम रास्ते को तय कर दर्शन करते है.