देवघर: देवनगरी विविधताओं से भरी पड़ी है. कामनालिंग बाबा बैद्यनाथ के दरबार बाबाधाम की परंपराएं भी काफी निराली और अद्वितीय है. यहां की अनोखी परंपराओं में बाबा मंदिर में लगने वाली बेलपत्र प्रदर्शनी भी है. बेलपत्र जिसके बारे में कहा जाता है कि इस पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने से शिव प्रसन्न होते हैं. बेलपत्र प्रदर्शनी को देखकर भक्त भाव विभोर हो जाते थे, लेकिन इस बार मेला नहीं लगने से इस परंपरा को पुरोहित ने ही निभाया है. कोरोना संक्रमण को लेकर श्रावणी मेला का आयोजन नहीं हो रहा है. जिससे भक्तों का आना नहीं हो रहा है. इस वजह से यह प्रदर्शनी फीकी पड़ गयी है.
बाबा भोले के तीन नेत्र हैं और बेलपत्र के तीन पट्टी इसी के सूचक हैं. सालों से बाबा बैद्यनाथ के दरबार में ही बेलपत्र की आकर्षक प्रदर्शनी लगाई जाती है. यह पूरे सावन मास भर चलता है. आषाढ़ संक्रांति के अवसर पर बाबा मंदिर में बेलपत्र सजाने की शुरुआत की जाती है और समापन सावन संक्रांति को होता है.
सिर्फ बाबाधाम में ही लगाई जाती है यह प्रदर्शनी
सभी पुरोहितों के आठ दल होते हैं, जो बिहार झारखंड के विभिन्न जंगलों से दुर्लभ बेलपत्र खोजकर लाते हैं और उसे प्रदर्शनी के दिन चांदी और स्टील की थाल पर सजाकर बाबा मंदिर पहुंचते हैं. बाबा मंदिर ही नहीं पूरे विश्व में धर्म को जागृत करने के लिए ऐसी प्रदर्शनी लगाई जाती है. ये सिर्फ और सिर्फ बाबाधाम देवघर में ही होता है. यहां यग प्रदर्शनी पंडा समाज की तरफ से लगाई जाती है. सभी पंडा बाबा बैद्यनाथ पर बेलपत्रों को अर्पित करते हैं.