चाईबासा: कोरोना वायरस संक्रमण के रोकथाम को लेकर जारी लॉकडाउन के कारण बिहार और पश्चिम बंगाल के 35 मजदूर पिछले 45 दिनों से चाईबासा के स्टेट काउंसिल सेंटर में फंसे हुए हैं. प्रशासन द्वारा घर पहुंचाने की व्यवस्था नहीं करने के चलते इन मजदूरों का सब्र का बांध अब टूटने लगा है. इस कारण बुधवार को एक बार फिर मजदूरों ने भागने की कोशिश की.
फिलहाल, स्टेट क्वॉरेंटाइन सेंटर में देश के विभिन्न राज्यों 84 लोगों को रखा गया है. बिहार और पश्चिम बंगाल के लोगों के द्वारा इससे पहले भी भागने का प्रयास किया गया है, जिसके बाद सूचना पाकर जिला प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और मजदूरों के निजी खर्च पर वाहन पास उपलब्ध कराने पर सहमति बनी और तब जाकर मजदूर भी शांत हुए. जिला प्रशासन की मानें तो मामला अन्य राज्यों से जुड़े होने के कारण इन्हें उनके घर पहुंचाने में परेशानी हो रही है.
मजदूरों के संबंधित राज्यों की सरकार से मजदूरों को भेजने को लेकर कई बार पत्राचार किया गया, लेकिन कोई अनुमति नहीं दी गई है. इसी कारण से मजदूरों को चाईबासा के स्टेट क्वॉरेंटाइन सेंटर में जबरन रखा गया था, लेकिन मजदूरों के बवाल करने के बाद जिला प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा मजदूरों को लाख समझाने के बावजूद भी मजदूर समझने को तैयार नहीं हुए. अंततः अब मजदूरों के निजी खर्च पर वाहन पास उपलब्ध कराने पर सहमति बन गई है.
ये भी पढ़ें:तेलंगाना में झारखंड के 3 मजदूरों की मौत, किराए की वैन से लौट रहे थे घर
सदर अनुमंडल पदाधिकारी परितोष ठाकुर ने कहा कि इन लोगों की क्वॉरेंटाइन की अवधि समाप्त हो चुकी है और इन लोगों के लिए वाहन की व्यवस्था की जा रही है, जिसके बाद वाहन पास उपलब्ध करवाने के बाद इन्हें वाहन से भेजा जाएगा. क्वॉरेंटाइन सेंटर में फंसे कई मजदूर रोजा रख रहे हैं और इस रमजान के महीने में वे अपने परिवार के पास जल्द से जल्द पहुंचना चाहते हैं. हम लोग भी प्रयास कर रहे हैं कि जल्द से जल्द उनके घर भिजवा दिया जाए.