चाईबासा: जिले में शनिवार को एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह आयोजन NCPCR के द्वारा की गई. जहां इस अवसर पर बाल संरक्षण आयोग के सदस्य यशवंत जैन मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. वहीं जिले के उपायुक्त अरवा राजकमल ने बाल संरक्षण आयोग के कार्यों और बच्चों के अधिकार के संबंध में लोगों को जानकारी दी.
यशवंत जैन ने इस कार्यशाला में लोगों को बताया कि बच्चों के क्या अधिकार हैं और उनके साथ कैसे पेश आना चाहिए. पुलिस पदाधिकारी और मीडिया को खास तौर पर यह अपील की गई कि पीड़ित बच्चों के नाम और पहचान पूरी तरह से छुपाई जाए और उनके साथ एक दोस्ताना व्यवहार किया जाए. साथ ही इस अवसर पर आए वैसे बच्चे जिनके माता-पिता नहीं है उन्हें चाइल्डलाइन को सुपुर्द करने का निर्देश भी दिया गया.
यशवंत जैन ने बताया कि नीति आयोग के आंकड़ों के अनुसार देश के 115 जिले अलग-अलग मापदंडों में पीछे हैं. तत्पश्चात राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के द्वारा देश के विभिन्न राज्यों तमिलनाडु, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड के कुछ जिलों में एनसीपीसीआर के द्वारा कैंप लगाकर बच्चों की समस्या को सुनना और जिला प्रशासन की मदद से तत्काल समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है.
360 मामले प्रकाश में लाया गया
एनसीपीसीआर की टीम के द्वारा चाईबासा में बच्चों की समस्याओं के समाधान हेतु कैंप का आयोजन किया गया. जिसमें पश्चिमी सिंहभूम जिले से 360 मामले प्रकाश में आए. जिसमें 210 मामलों का जिला प्रशासन की मदद से त्वरित निष्पादन किया गया. मुख्य रूप से बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े मामले, बच्चों की देखरेख से जुड़े मामले, बच्चों की शिक्षा से जुड़े मामले प्रकाश में आए. कई मामलों का जिला प्रशासन की मदद से त्वरित समाधान भी किया गया.
समाज कल्याण विभाग को दी गई निर्देश
दिव्यांग प्रमाण पत्र से जुड़े मामलों के लिए समाज कल्याण विभाग को निर्देश दिया गया कि 1 महीने के भीतर प्रमाण पत्र निर्गत कराया जाए ताकि सरकार की जितनी भी योजनाएं हैं, उन सभी योजनाओं का लाभ बच्चे उठा सकें. जिन बच्चों का नाम राशन कार्ड से नहीं जुड़ा है,1 हफ्ते के भीतर नाम जोड़ने का निर्देश दिया गया.