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चाईबासा: दुर्गम क्षेत्र में आउटपोस्ट बनाने का पुलिस ने गृह विभाग को भेजा प्रस्ताव, घटनाओं पर होगी जल्द कार्रवाई

पश्चिम सिंहभूम जिले के गुदड़ी प्रखंड, नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. यहां आए दिन नरसंहार की घटना घटती रहती है. इसके साथ ही संचार की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसे लेकर पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत माहथा ने गृह विभाग को रिपोर्ट भेजी है.

Police sent proposal to home department to make outpost in chaibasa
लोगों की भीड़

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Published : Mar 3, 2020, 10:59 PM IST

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिले के गुदड़ी प्रखंड क्षेत्र के बुरुगुली गुरुकेरा गांव में घटित नरसंहार की घटना दोबारा न हो और क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनी रहे. इस दिशा में जिला पुलिस अपनी तैयारी में जुट गई है. पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत माहथा ने गृह विभाग को रिपोर्ट भेजी है ताकि इन दुर्गम क्षेत्रों में हो रही घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई की जा सके और स्थानीय पुलिस को मदद मिल सके.

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बता दें कि गुदड़ी प्रखंड क्षेत्र का पूरा इलाका काफी दुर्गम है. जिस कारण सूचनाओं के आदान-प्रदान में काफी दिक्कतें आती हैं. पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत माहथा ने कि सूचनाओं के आदान-प्रदान की समस्या को देखते हुए बीएसएनल को जल्द से जल्द मोबाइल नेटवर्क स्थापित करने के लिए आग्रह किया गया है. उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त सेरेंगदा और लोढाई को थाना और बुरुगुलीकेरा गांव में आउटपोस्ट के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए पुलिस मुख्यालय के माध्यम से गृह विभाग को एक रिपोर्ट भेजी गई है.

पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत माहथा ने बताया कि किसी भी तरीके के संचार की सुविधा नहीं होने के कारण एक छोटी सी असूचना के भौतिक सत्यापन के अलावा कोई उपाय नहीं रहता है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण भौतिक सत्यापन 1 दिन में पूरी नहीं हो पाती है, लगातार दो-तीन दिनों तक अभियान चलाना पड़ता है. इन्हीं सब के मद्देनजर पुलिस विभाग ने विशेष कार्य योजना बनाकर बीएसएनएल को संचार व्यवस्था क्षेत्र में जल्द से जल्द बहाल करने की पहल करने को कहा है ताकि स्थानीय पुलिस को कार्य करने में आसानी हो सके.

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संचार व्यवस्था नहीं होने के कारण गांव के ग्रामीणों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, किसी भी प्रकार की सूचना ग्रामीण नहीं दे पाते हैं. किसी भी प्रकार की सूचना देने के लिए ग्रामीणों को लगभग 20 किलोमीटर पैदल चलकर आना पड़ता है. पुलिस जवानों को भी उस क्षेत्र में जाने के बाद काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. उम्मीद है कि प्रशासनिक दृष्टिकोण से भेजे गए प्रस्ताव को मंजूर किया जाएगा ताकि इन दुर्गम क्षेत्रों में हो रही घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई की जा सके और स्थानीय पुलिस को मदद मिल सके.

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