चाईबासा: चिरौंजी झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के सारंडा और पोड़ाहाट के जंगलों में निवास करने वाले ग्रामीणों की तकदीर बदलने की ताकत रखता है, लेकिन आज भी सारंडा में समान के बदले पैसे नहीं दिए जाते हैं. बल्कि समान के बदले समान लेने का प्रचलन है. चिरौंजी के महत्व और कीमत से अनजान सारंडा के ग्रामीणों को क्षेत्र के व्यापारी मामूली कीमत देकर हजारों की चिरौंजी ले जाते हैं.
चिरौंजी एक प्रकार का बीज है जो खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है. इसमें कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. इस वजह से इसकी कीमत करीब एक हजार रुपए प्रति किलो तक है. हालांकि, इस बात से ग्रामीण बेखबर हैं. यही कारण है कि यहां के व्यापारी इनसे एक किलो चिरौंजी लेकर बदले में 20 किलो चावल देते हैं, जो बहुत कम है.
चिरौंजी के महत्व की नहीं है जानकारी
जिले के सारंडा क्षेत्र के अधिकतर ग्रामीणों को चिरौंजी के महत्त्व की जानकारी ही नहीं है. ग्रामीण चिरौंजी को खाकर उसके बीज को फेंक देते हैं. जिन ग्रामीणों को इसकी खूबियों की जानकारी है. वह चिरौंजी के बीजों को संग्रहण कर गांव के आसपास लगने वाले हाट बाजारों में राशन के बदले बेच देते हैं. चिरौंजी झारखंड के साथ-साथ देश के कई राज्य जैसे ओडिशा, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ आदि क्षेत्रों में पाया जाता है. पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा की चिरौंजी की मांग देश के पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में अत्यधिक है.
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