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जब देखते ही देखते गुआ हाट मैदान हो गया था खून का मैदान, आज तक नहीं मिला आंदोलनकारियों को सम्मान

चाईबासा के गुआ गोलीकांड में शहीद हुए आंदोलनकारियों को आज तक सम्मान नहीं मिला. झारखंड आंदोलन के नायक रहे बहादुर उरांव ने कहा कि शहीद के परिजन आज इधर-उधर भटक रहे हैं. परिजनों को न मुआवजा मिला और न ही नौकरी मिली.

चाईबासा के गुआ गोलीकांड

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Published : Sep 9, 2019, 4:39 PM IST

चाईबासा: गुआ गोलीकांड के नायक पूर्व विधायक बहादुर उरांव ने फूलमाला चढ़ाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर बहादुर उरांव ने कहा कि आज झारखंड राज्य के बने हुए लगभग 19 साल होने जा रहे हैं, उसके बावजूद भी अभी तक शहीद हुए लोगों के परिजनों को सम्मान, नौकरी और मुआवजा नहीं मिल पाया है.

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भटक रहे शहीद के परिजन
बहादुर उरांव ने कहा कि गुआ गोलीकांड में शहीद के परिजन आज भी इधर-उधर भटक रहे हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन की सरकार जब बनी थी तब शहीदों के 10 आश्रितों को नौकरी दी गई ी, लेकिन उसके बाद विपक्षी दलों ने षड्यंत्र के तहत उनकी सरकार को गिरा दिया. जिसके बाद गुआ गोलीकांड के शहीदों के परिजनों को नौकरी और मुआवजा नहीं मिल सका है.

झारखंड आंदोलन को मिली नई दिशा
बहादुर उरांव ने बताया कि गुआ गोलीकांड झारखंड आंदोलन की एक ऐतिहासिक घटना है और इस घटना के पश्चात झारखंड आंदोलन को एक नई दिशा मिली. यह घटना तत्कालीन दंडाधिकारी फ्रांसिस डीन और डीएसपी कुजूर की क्रूरता का काला अध्याय भी है. गुआ गोलीकांड के दौरान मौजूद आंदोलनकारी आज भी उस घटना को याद कर सिहर उठते हैं.

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पुलिस का निशाना बने आंदोलनकारी
चर्चित जंगल आंदोलन के दौरान विभिन्न मांगों के समर्थन में आमसभा का आयोजन किया गया था. सभा का आह्वान देवेंद्र माझी ने किया था. सभा के दौरान भूमि सुधार उपसमाहर्ता फ्रांसिस डीन ने आंदोलनकारियों से मांग पत्र हासिल की. मांग पत्र में गिरफ्तार आंदोलनकारियों को रिहा किए जाने, खनन कार्य ली गई जमीन के मालिकों को नौकरी देने और झारखंड अलग राज्य घोषित करने की मांग थी.

इसी दौरान युवा नेता भुवनेश्वर महतो और वैशाखु गोप को बातचीत करने के लिए मंच से बुला लिया गया. कुछ ही देर बाद इन दोनों की गिरफ्तारी की सूचना आंदोलनकारियों को मिली. पुलिस ने सुखदेव हेंब्रम, बहादुर उरांव और शुला पूर्ती को 5 मिनट के अंदर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण की चेतावनी दी. इसके साथ ही आंदोलनकारियों से तत्काल मैदान खाली कर देने को कहा गया, लेकिन आंदोलनकारियों ने चेतावनी को नजरअंदाज कर सभा जारी रखी.

इस पर पुलिस द्वारा हवाई फायरिंग की गई, जिसे आंदोलनकारी आक्रामक हो गए. सभा स्थल में भगदड़ मच गई. पुलिस ने आंदोलनकारियों को गोलियों का निशाना बनाना शुरू कर दिया. देखते ही देखते गुआ हॉट मैदान खून से सना हाट मैदान हो गया.

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