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आदिम जनजाति बिरहोर की जनसंख्या में हुई 30 फीसदी वृद्धि, अब रोजगार की तलाश में भटक रहे लोग - Birhor tribe

आदिम जनजाति बिरहोर की घटती जनसंख्या सरकार के लिए अब तक एक चिंता का विषय बनी हुई थी. लेकिन बीते साल में जो आंकड़े सामने आए हैं उससे यह जाहिर होता है कि उनकी जनसंख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. लेकिन रोजगार के मामले में यह जनजाति अब भी पीछे है.

Increase in population of Birhor tribe in chaibasa
बिरहोर जनजाति

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Published : Jan 3, 2020, 6:15 PM IST

चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा-पोड़ैयाहाट की गोद में बसे विलुप्त आदिम जनजाति बिरहोर की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है. जिसे लेकर जिला प्रशासन काफी संतुष्ट है. लेकिन अब बिरहोर जनजाति के लोग रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं.

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बता दें कि विलुप्त हो रही बिरहोर जनजाति को बचाने के लिए सरकार कई सकरात्मक कदम उठा रही है. जिसका इस साल सकारात्मक पहलू भी देखने को मिला.
जिला प्रशासन के सर्वे रिपोर्ट के अनुसार नोवामुंडी, गोइलकेरा, मनोहरपुर, बंदगांव, गुदड़ी प्रखंड क्षेत्रों में निवास करने वाले बिरहोर की जनसंख्या बढ़ी है. 2016-17 की रिपोर्ट के मुकाबले 2019 में विलुप्त हो रहे बिरहोर की आबादी लगभग 30 प्रतिशत बढ़ गई है.

बिरहोर जनजाति के उत्थान की योजनाएं

जिला प्रशासन ने जिले के विभिन्न प्रखंड में निवास करने वाले बिरहोर जनजाति के उत्थान के लिए पूर्व में आवास, रोजगार सृजन, शिक्षा और स्वास्थ्य की उचित व्यवस्था कर उनके विकास के लिए कार्य योजना तैयार की थी. जिसमें सरकार अब तक बिरसा आवास और कुछ बिरहोर बच्चों को जिला आवासीय विद्यालय में रख कर शिक्षा देने का काम कर रही है. वहीं, जिला प्रशासन की ओर से डाकिया योजना के तहत प्रत्येक बिरहोर परिवार को 35 किलो चावल प्रत्येक माह दिया जाता है.

बिरहोर जंगली उत्पाद बेचकर भर रहे पेट

सरकार बिरहोर जनजाति के निवास स्थान पर वेबिंग मशीन लगा कर प्रशिक्षण देने का काम एनजीओ से करवा रही थी. जिसके बदले में ग्रामीणों को एनजीओ की ओर से पैसे भी दिए जाते थे. लेकिन केंद्र सरकार के पिछले दो सालों में एनजीओ को फंड मुहैया नहीं कराए जाने पर वेबिंग सेंटर बंद हो चुका है. फिलहाल सरकार बिरहोर परिवारों को रोजगार मुहैया कराने में असमर्थ रही है. बिरहोर परिवार अपनी जीविका चलाने के लिए जंगल उत्पाद झाड़ू, दातुन और पत्ता लाकर आसपास के हाट में बेचकर गुजर-बसर कर रहे हैं.

मामले में जिला उपायुक्त अरवा राजकमल ने कहा कि एनजीओ संचालित बुनकर सेंटर को केंद्र सरकार से फंड मिलना बंद हो गया है. वर्तमान में जिला खनिज कोष से उन गांवों में SHG ग्रुप के जरिए प्रशिक्षण सह उत्पादन सेंटर बनाकर संचालित किया जाएगा.

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