चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिला उपायुक्त अरवा राजकमल की अध्यक्षता में जिला समाहरणालय स्थित सभागार में जिला स्तरीय वनाधिकार समिति की बैठक आयोजित कर अनुमंडल स्तरीय वनाधिकार समिति से अग्रसारित वनाधिकार पट्टा आवेदनों का समीक्षा की गई. इस दौरान जिले के वन प्रमंडल पदाधिकारी, परियोजना निदेशक आईटीडीए, अनुमंडल पदाधिकारी पोड़ाहाट-चक्रधरपुर, सदर चाईबासा, जिला कल्याण पदाधिकारी के उपस्थित रहे.
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उपायुक्त अरवा राजकमल ने बताया कि विभिन्न अनुमंडल स्तर से प्राप्त कुल 836 व्यक्तिगत वनाधिकार पट्टा एवं 136 सामुदायिक वनाधिकार पट्टा आवेदनों का समीक्षा करते हुए समिति के द्वारा सर्वसम्मति से स्वीकृति प्रदान की गई है. उन्होंने बताया कि पूर्व में भी 6,000 से अधिक संख्या में व्यक्तिगत वनाधिकार पट्टा एवं 120 सामुदायिक वनाधिकार पट्टा का वितरण इस जिले में किया गया था.
उपायुक्त ने बताया कि अभी वर्तमान में सारंडा वन प्रक्षेत्र के नोआमुंडी प्रखंड से कुछ और आवेदन अनुमंडल स्तर पर आने की सूचना प्राप्त हुई है. उम्मीद है कि 29 दिसंबर को राज्य सरकार के कार्यकाल के 1 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम तक जिले में 1,000 से अधिक वनाधिकार पट्टा का वितरण किया जाएगा. इसके साथ ही कार्यक्रम के दिन स्थानीय विधायक-सह-सुबे की महिला, बाल विकास मंत्री एवं क्षेत्र की सांसद और विधायकगण के उपस्थिति में सांकेतिक रूप से वनाधिकार पट्टा का वितरण भी करवाया जाएगा.
उन्होंने बताया कि प्राप्त आवेदनों में कुछ ऐसे भी व्यक्तिगत दावे संज्ञान में आए हैं जो कि वनाधिकार पट्टा पाने के लिए योग्य नहीं हैं. वैसे आवेदनों को अनुमंडल स्तर पर ही कारण सहित अस्वीकृत किया जा रहा है. ग्रामसभा के माध्यम से नए प्राप्त हो रहे दावों का भी क्षेत्रीय पदाधिकारियों के द्वारा जांच किया जा रहा है. वैसा क्षेत्र जिस पर 2 गांव के लोगों द्वारा सामुदायिक पट्टा का दावा किया जा रहा है, वैसे स्थिति में दोनों पक्षों को सुनते हुए योग्य पक्ष को वनाधिकार पट्टा देने की कार्यवाही जारी है.
उपायुक्त ने बताया कि वनाधिकार पट्टा का वितरण कानून संगत है, इसके तहत अभी भी जिले के वैसे योग्य वंचित लाभुक जिन्हें वनाधिकार पट्टा का लाभ नहीं मिल पाया है. उन सभी से अपील है कि ग्राम वनाधिकार समिति के माध्यम से ग्राम सभा की कार्यवाही संलग्न करते हुए अभी भी अपना आवेदन अनुमंडल स्तरीय वनाधिकार समिति तक प्रेषित कर सकते हैं. यह प्रक्रिया अनवरत चलते रहेगा और जहां भी कानूनन योग्य लाभुकों को अधिकार देने की संभावना है वैसे सभी लाभुकों को वनाधिकार पट्टा का लाभ देना सुनिश्चित किया जाएगा.