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चाईबासा के स्लम एरिया की कड़वी हकीकत, भूखे पेट सोने को मजबूर हैं मजदूर

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Published : Apr 28, 2020, 5:16 PM IST

कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से झारखंड में भी मजदूरों के सामने रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो गयी है. कई दिनों से मजदूरों को काम नहीं मिल पाया है. दिहाड़ी मजदूरी करने वालों के पास कोई विकल्प नहीं हैं. तंगहाली और भूख उन्हें जीने नहीं दे रही जिस कारण एक समय खाना खा कर गुजारा कर रहे हैं.

Daily laborers sleep hungry
भूखा सोने को विवश दिहाड़ी मजदूर

चाईबासा: कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर देश में लगाए गए लॉकडाउन का सबसे बुरा असर दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ रहा है. कई शहर के दिहाड़ी मजदूरों के लिए घर परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है. पश्चिम सिंहभूम जिले के स्लम इलाकों की बात करें तो लाखों दिहाड़ी मजदूरों के समक्ष एक तरफ काम बंद होने से खाने के लाले पड़ रहे हैं. तो दूसरी तरफ जिला प्रशासन की ओर से आदेश के बावजूद इन लोगों को राशन नहीं मिला है.

वीडियो में देखिए स्पेशल रिपोर्ट

बता दें कि जिला मुख्यालय चाईबासा से सटे क्षेत्र मोची साई में ज्यादातर गरीब और जरूरतमंद लोग रहते हैं. जिसमें रिक्शा चालक, ऑटो चालक, कूड़ा-करकट चुनने वाले और अन्य निम्न वर्ग के लोग रहते हैं. प्रतिदिन काम करके पैसा जुटाने वाले हजारों परिवारों के लिए लॉकडाउन मुसीबत बन गया है. घरों में झाड़ू-पोछा करने वाली महिलाओं का भी काम छिन चुका है और मजदूरी करने वाले उनके पतियों के पास भी अब काम रहा. हालात ऐसे हैं कि एक कोठरी जैसे कमरे में 6-6 लोग रहने को मजबूर है.

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यहां अधिकतर परिवार छप्पर के नीचे ही अपना आशियाना बसाए हुए हैं. लॉकडाउन में इनकी आमदनी का जरिया पूरी तरह से ठप हो गया है. इस वर्ग के लोगों की त्रासदी यह है कि ना तो इनके पास कोई काम है और ना ही घर या बैंक में जमा पूंजी, जिससे ये अपने घरों में बैठकर परिवार का भरण पोषण कर सकें. इन लोगों को जिला प्रशासन से मिलने वाली सुविधाएं और लॉकडाउन में मिलने वाली अनाज की भी जानकारी नहीं है.

सिर्फ पानी पीकर रहने को मजबूर

अब तंगहाली और भूख उन्हें जीने नहीं दे रही और उनका आत्मसम्मान उन्हें किसी के आगे हाथ फैलाने से भी रोक रहा है. यही कारण है कि स्लम इलाके के लोग एक समय खाना खाकर बाकी समय पानी पीकर ही सोने को विवश हो चुके हैं. ऐसा नहीं है कि जिला प्रशासन और समाजसेवी संस्थाओं ने इस लॉकडाउन के दौरान खाद्यान्न का वितरण नहीं किया. लेकिन यहां के मजदूर बताते हैं कि स्थानीय व्यवसाय एसआर रूंगटा ने इन्हें 5-5 किलो खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया था जिसके बाद से अब तक किसी ने भी इस क्षेत्र के लोगों के बारे में नहीं सोचा है. मात्र 5 किलो चावल से एक परिवार कितने दिन घर चला सकता है. किसी तरह मजदूर एक समय खाना खाकर बाकी समय पानी पीकर सो रहे हैं.

प्रशासन के निर्देश के बाद भी मजदूर भूखे

स्लम क्षेत्रों में रहने वाले दिहाड़ी मजदूरों को लॉकडाउन के बाद खाने-पीने के लाले पड़ गए हैं. जबकि जिला प्रशासन ने पंचायत के मुखिया को भी क्षेत्र के जरूरतमंद लोगों को अनाज उपलब्ध करवाने को कहा है. इसके साथ ही नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड पार्षदों को भी 10-10 किलो चावल वितरण करने को कहा गया है. लेकिन चाईबासा के मोचीसाई में रहने वाले लोगों को अब तक अनाज उपलब्ध नहीं कराया जा सका है.

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सदर अनुमंडल पदाधिकारी परितोष ठाकुर ने बताया कि जितने भी जरूरतमंद लोग हैं उन्हें हम लोगों के द्वारा खाद्यान्न दिया जा रहा है इसके बाद भी किन्ही को सहायता चाहिए तो हमारे कंट्रोल रूम नंबर 1950 पर कॉल करके लोग अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं वहां 24 घंटे लोग उपलब्ध रहते हैं वे संबंधित पदाधिकारी को सूचित करके उनको मदद पहुंचाई जाएगी. उन्होंने कहा कि चाईबासा के मोची साईं में जिला प्रशासन के द्वारा उपायुक्त की उपस्थिति में खाद्यान्न का वितरण किया गया था उसके बावजूद भी किसी को खाद्यान्न की जरूरत है तो हम लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध जरूर करवाएंगे.

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