चाईबासा: जिले में अवैध खनन को रोकने के लिए जिला स्तरीय खनन टास्क फोर्स की विशेष बैठक हुई. इस बैठक में उपायुक्त अरवा राजकमल ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पारित आदेश के आलोक में पूरे राज्य में 10 जून से लेकर 15 अक्टूबर तक बालू के उत्खनन पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है. उन्होंने कहा कि सभी जिलावासियों से अपील है कि जो भी स्टॉकयार्ड है केवल वहीं से बालू नियमानुसार मिलेगी. इसके अलावा राज्य के बाहर या अन्य किसी जिले से विधिवत चालान के साथ बालू ला सकते हैं लेकिन किसी भी परिस्थिति में यदि अवैध उत्खनन कर रहे हैं तो उस पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी.
आदेश का उल्लंघन होने पर 10 करोड़ रुपए तक का जुर्माना
उपायुक्त ने कहा कि माननीय राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेश का यदि उल्लंघन होता है तो उस पर 10 करोड़ रुपए तक जुर्माना और 3 साल जेल की सजा का भी प्रावधान दिया गया है. एनजीटी के आदेश को पूरी गंभीरता से लें, आदेश का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई के लिए जिम्मेदार होंगे. उन्होंने कहा कि 15 अक्टूबर तक बालू खनन पर रोक लागू रहेगी. केवल स्टॉकयार्ड का लाइसेंस जिन्हें मिला है, उन्हीं को केवल ट्रैक्टर के माध्यम से ही चालान के साथ दूसरे जगह भेज सकते हैं. किसी भी परिस्थिति में पूर्व में वैध तरीके से खनन की गई बालू के परिवहन के लिए भी हाइवा का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. इस संबंध में विस्तृत आदेश जिला की ओर से भी दिया गया है.
वृहत खनिज के स्टॉक वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी
उपायुक्त ने जानकारी दी कि वृहत खनिज के संबंध में जितने भी माइनिंग कंपनी की 31 मार्च को माइनिंग करने की काल अवधि समाप्त हुई है. उनके स्टॉक वेरिफिकेशन की प्रक्रिया भी लगभग पूरी हो चुकी है. संबंधित प्रतिवेदन भी सरकार को सुपुर्द किया जा चुका है.
अवैध उत्खनन की शिकायत पर कड़ी कार्रवाई
उपायुक्त अरवा राजकमल ने कहा कि अनुमंडल पदाधिकारी और अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी स्तर पर लगातार बैठक आयोजित की जा रही है. जिला स्तर पर भी आयोजित बैठक में जितनी भी शिकायतें वृहत खनिज या लघु खनिज के संदर्भ में आती हैं, सभी पर समुचित कार्रवाई की जाएगी. उपायुक्त ने कहा कि अवैध माइनिंग के संदर्भ में यदि किसी प्रकार की खबर प्राप्त होती है तो उसकी जांच करते हुए दोषसिद्ध पाए जाने पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जायेगी.