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रांची: कोयला मजदूर यूनियन की तीन दिवसीय हड़ताल शुरू, उत्पादन रहेगा ठप - कोयला मजदूर यूनियन का तीन दिवसीय हड़ताल

रांची में कोल माइनिंग की नीलामी के विरोध में कोयला मजदूर संगठनों ने गुरुवार से तीन दिवस हड़ताल की शुरुआत की है. ट्रेड यूनियन के नेता का कहना है कि सरकार कोयला मजदूरों के साथ अन्याय कर रही है. वहीं एआईसीडब्ल्यूएफ के उपाध्यक्ष आरपी सिंह ने विरोध जताते हुए कहा कि सरकार मजदूरों की मांगों को नहीं मानती है, तो तीन दिवसीय हड़ताल 30 दिनों तक जारी किया जाएगा.

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कोयला मजदूर यूनियन

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Published : Jul 2, 2020, 3:27 PM IST

रांची: गुरुवार से भारत सरकार की तरफ से किए गए कोल माइनिंग की नीलामी के विरोध में कोयला मजदूर संगठनों ने तीन दिवस हड़ताल की शुरुआत कर दी है. इसका असर राजधानी में भी देखने को मिल रहा है. राजधानी के दरभंगा हाउस स्थित सीसीएल मुख्यालय के समक्ष मजदूरों ने अपना विरोध जताया. साथ ही भारत सरकार ने किए गए कमर्शियल कोल माइनिंग का कड़ा विरोध किया.

कोल माइनिंग की नीलामी का विरोध
सीसीएल मुख्यालय के सामने ट्रेड यूनियन और सीसीएल कर्मी ने विरोध करते हुए कहा कि भारत सरकार पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए कोल ब्लॉक की नीलामी करने का काम कर रही है. ट्रेड यूनियन के नेता संतोष कुमार सिंह ने आक्रोश जाहिर करते हुए बताया कि सरकार कोयला मजदूरों के साथ अन्याय कर रही है. अगर सरकार कमर्शियल कोल माइनिंग के निर्णय को वापस नहीं लेती है, तो हम मजदूरों का विरोध लगातार जारी रहेगा.

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मांग न पूरी होने पर 30 दिनों तक करेंगे हड़ताल जारी
वहीं, एआईसीडब्ल्यूएफ के उपाध्यक्ष आरपी सिंह ने बताया कि सरकार लोगों को झूठी बातें बता कर कमर्शियल कोल माइनिंग करना चाहती है, क्योंकि इससे सीधा निजी पूंजीपतियों को लाभ पहुंच रहा है. उन्होंने 1972 का हवाला देते हुए बताया की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कोल इंडिया को राष्ट्रीयकृत किया गया था, लेकिन वर्तमान सरकार इसे निजीकरण कर फिर से कोयला मजदूरों के साथ अन्याय कर रही है. इसीलिए अगर वर्तमान सरकार मजदूरों की मांगों को नहीं मानती है, तो यह तीन दिवसीय हड़ताल 30 दिनों तक जारी रहेगा या उससे भी आगे तक चलेगा.

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