रांची: राजधानी के सबसे वीआईपी इलाकों में शुमार अरगोड़ा थाना क्षेत्र में छह मार्च की शाम अशोकनगर में हुए दोहरे हत्याकांड के मुख्य आरोपी लोकेश चौधरी को पुलिस की ओर से पूरा मौका दिया जा रहा है. अग्रवाल ब्रदर्स के हत्या के एक महीने होने को है, लेकिन अभी तक हत्या का मुख्य आरोपी लोकेश चौधरी और उसका सहयोगी फर्जी आईबी अफसर एमके सिंह कानून के गिरफ्त से दूर है.
पिछले एक महीने से दोहरे हत्याकांड की तफ्तीश में लगे सभी अफसरों की जुबान पर बस एक ही जवाब है कि गिरफ्तारी का प्रयास जारी है, लेकिन कब? इसका जवाब किसी के पास नहीं है. 6 मार्च की शाम रांची के व्यवसाई हेमंत अग्रवाल और उसके सगे भाई महेंद्र अग्रवाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. घटना को अंजाम देने के बाद लोकेश उसी रात अपने पूरे परिवार के साथ फरार हो गया था. इस मामले में पुलिस की तफ्तीश कितनी सुस्त है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 19 मार्च को लोकेश चौधरी के घर चिपकाने के लिए कोर्ट से इस्तेहार पुलिस ने ले लिया गया था, लेकिन इस्तेहार 25 मार्च को चिपकाया गया.
अब तक की कार्रवाई
अग्रवाल ब्रदर्स हत्याकांड में पुलिस ने अब तक लोकेश के दोनों बॉडीगार्ड और एक ड्राइवर को गिरफ्तार किया है. लेकिन पुलिस अभी तक हत्या की असली वजह सामने नहीं ला पाई है। हत्या की वजह एक बड़ी रकम बताइए जा रही हैं ।लेकिन कितने पैसे इसका खुलासा पुलिस अभी तक नहीं कर पाई है ।जबकि पुलिस दोनों बॉडीगार्डस को आमने सामने बिठाकर पूछताछ कर चुकी है।लोकेश के दोनों अंगरक्षक सुनील सिंह और धर्मेंद्र तिवारी पुलिस ने 4 दिनों तक पूछताछ की, पूछताछ के दौरान हत्या में प्रयोग किए गए हथियार को बरामद कर लिया गया.
पहुंच का फायदा उठा रहा लोकेश
राजधानी के सबसे वीआईपी इलाके अशोक नगर में न्यूज चैनल का दफ्तर खोलने वाले लोकेश चौधरी की दोस्ती झारखंड के कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों से थी. पहुंच और पैरवी के बल पर लोकेश चौधरी ने कुछ महीने पहले झारखंड पुलिस से दो बॉडीगार्ड भी लिया था, लेकिन बाद में रांची डीआईजी ने रांची एसएसपी से लोकेश चौधरी के सुरक्षा की समीक्षा कराई थी. समीक्षा के बाद उसके दोनों सरकारी बॉडीगार्ड वापस ले लिए गए थे. सरकारी बॉडीगार्ड वापस लेने के बाद लोकेश चौधरी ने दो निजी गनर अपने साथ रखा था.