बोकारो: लोगों को रोटी, कपड़ा और मकान के अलावे स्वच्छ पानी की जरूरत होती है. पिछले 70 सालों से देश में रोटी, कपड़ा और मकान की कमी को लोग मिटाने में लगे हैं. पिछले कुछ दशकों में जो नई समस्या सामने निकलकर आई है वो है स्वच्छ पानी. शहरी इलाकों के बाद अब ग्रामीण इलाकों में भी पानी की समस्या बढ़ती जा रही है.
बोकारो में पेयजल संकट गंभीर, नाली के पानी से काम चला रहे ग्रामीण
बोकारो जिले के पेटरवार प्रखंड में पानी की किल्लत से लोग परेशान हैं. हालत ये है कि लोग अब डांरि का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. ग्रामीण इलाके के लोग सुबह-सुबह घर से 3 किलोमीटर दूर डांरि से पानी भरकर लाते हैं.
बोकारो जिले के पेटरवार प्रखंड में पानी की किल्लत से लोग परेशान हैं. हालत ये है कि लोग अब डांरि का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. ग्रामीण इलाके के लोग सुबह-सुबह घर से 3 किलोमीटर दूर डांरि से पानी भरकर लाते हैं. यहां पानी रोजाना सिस्टम को पानी-पानी करता है. सरकार की तरफ से मदद नहीं मिलने पर अब लोग इस गड्ढे का पानी पीना ही अपनी किस्मत समझते हैं. कई बार सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट चुके ग्रामीण अब थक चुके हैं. पानी के कारण इस गांव में अब शादी-विवाह भी नहीं होता.
लोकसभा चुनाव में विकास की बातें खूब हुई. नेताओं ने बड़े-बड़े मंच से भाषण दिए, लेकिन क्या नाली का पानी पीना ही विकास है या आजादी के 70 साल बाद भी पानी और भोजन की तलाश करना विकास है?