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झारखंड के गांवों में बनेगी जान बचाने वाली दवा, मेडिसिनल प्लांट के लिए वन विभाग खर्च करेगी 60 लाख - ग्रामीणों को रोजगार

वन विभाग पश्चिम सिंहभूम जिले के सुदूरवर्ती ग्रामीण वन क्षेत्र में रहने वाले को स्वावलंबी बनाकर जीविका से जोड़ने के उद्देश्य से मेडिसिनल प्लांट यूनिट की स्थापना करने जा रही है. इस योजना के तहत जिले के कोल्हान, सारंडा, पोड़ाहाट व चाईबासा वन प्रमंडल के गोइलकेरा करमपदा, बंदगांव के हेस्साडीह व कुमारडूंगी में इसकी स्थापना करने जा रही है. हर यूनिट में दो कमरे, एक मेडिसिनल ड्रायर मशीन, 15 केवी का जनरेटर और बोरिंग की व्यवस्था भी की जाएगी.

जानकारी देते वन विभाग डीएफओ

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Published : Jun 7, 2019, 1:30 PM IST

चाईबासा: वन विभाग पश्चिम सिंहभूम जिले के सुदूरवर्ती ग्रामीण वन क्षेत्र में रहने वाले को स्वावलंबी बनाकर जीविका से जोड़ने के उद्देश्य से मेडिसिनल प्लांट यूनिट की स्थापना करने जा रही है. इसके लिए वन विभाग ने कुल 60 लाख की राशि खर्च करने की योजना बनाई है.

जानकारी देते वन विभाग डीएफओ


इस योजना के तहत जिले के कोल्हान, सारंडा, पोड़ाहाट व चाईबासा वन प्रमंडल के गोइलकेरा करमपदा, बंदगांव के हेस्साडीह व कुमारडूंगी में इसकी स्थापना करने जा रही है. हर यूनिट में दो कमरे, एक मेडिसिनल ड्रायर मशीन, 15 केवी का जनरेटर और बोरिंग की व्यवस्था भी की जाएगी. इस योजना को धरातल पर सुचारू रूप से संचालन करने के लिए गांव के वैसे ग्रामीणों का चयन किया जाएगा, जिन्हें पहले से औषधियों की जानकारी है. उनकी समिति का भी गठन किया जाएगा.


इस योजना का संचालन के लिए वन विभाग ग्रामीणों की समितियों को अग्रिम भुगतान के तौर पर एक लाख 70 हजार रुपए भी दिया जाएगा. इसके अलावा गांव में रहने वाले औषधियों के जानकार ग्रामीणों की मदद से जंगलों से औषधि जड़ी बूटी युक्त पेड़ पौधे को यूनिट में लाकर मेडिसिनल ड्राइंग मशीन में सुखाने का कार्य करेंगे. इसके बाद सभी सुखाय पौधों की भी पैकेजिंग कार्य भी समिति ही करेगी. इन औषधियों को ग्रामीण द्वारा स्वयं जिले के बाजारों में भी बेचने का काम किया जाएगा. इसके अलावा विभाग ग्रामीणों को औषधियों का बेहतर मूल्य दिलाने के लिए तत्पर होगी.


वन विभाग की इस योजना के अंतर्गत ग्रामीणों को बाजार उपलब्ध कराने की भी तैयारी की जा रही है. इसके तहत वन विभाग कोल्हान प्रमंडल के डीएफओ अभिषेक भूषण ने बताया कि वन विभाग द्वारा राज्य में कार्यरत आयुर्वेदिक सिद्धा एवं यूनानी के साथ करार करने का भी प्रयास कर रही है. करारनामा होने के बाद संस्था अपने अंतर्गत संचालित एजेंसियों में ग्रामीणों के द्वारा बनाई गई औषधियों को बेचने का कार्य करेगी जिसके एवज में ग्रामीणों को भुगतान उनके खाते में किया जाएगा.

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